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ईओडब्ल्यू की कस्टम मिलिंग घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई : सेवानिवृत्त आईएएस अनिल टुटेजा और व्यवसायी अनवर ढेबर गिरफ्तार

Date : 09-Jul-2025



रायपुर, 9 जुलाई । आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कस्टम मिलिंग घोटाले में बुधवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और व्यवसायी अनवर ढेबर को विशेष अदालत में पेश कर विधिवत गिरफ्तार किया गया है। दोनों आरोपितों को पुलिस ने छह दिन की रिमांड पर लिया है, जहां दोनों से पूछताछ की जाएगी।

बता दें क‍ि दोनों आरोप‍ित पहले से ही शराब घोटाला मामले में जेल में बंद थे, लेकिन इस नए मामले में उनकी संलिप्तता की पुष्टि के बाद आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू ) ने प्रोडक्शन वारंट के तहत उन्हें कोर्ट में पेश किया। विशेष न्यायालय ने दोनों को पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।

आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू ) ने इस प्रकरण में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018) की धारा 11, 13(1)(क), 13(2) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 384 (जबरन वसूली) और 409 (लोकसेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) के तहत मामला दर्ज किया है।

आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू ) की जांच में पता चला कि, अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर ने मिलकर चावल मिलर्स से करोड़ों रुपये की अवैध वसूली की सुनियोजित साजिश रची और इसे अंजाम दिया था।

जानकारी के अनुसार, कस्टम मिलिंग घोटाला 2021-22 के दौरान हुआ, जब केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को 62 लाख मीट्रिक टन धान की कस्टम मिलिंग के लिए मंजूरी दी थी। इस प्रक्रिया में धान को चावल में परिवर्तित करने के लिए राइस मिलर्स को अनुबंध दिए गए। हालांकि, जांच में सामने आया कि कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों ने मिलर्स से दो किस्तों में अवैध वसूली का तंत्र स्थापित किया। इस साजिश में राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश रुंगटा, कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर, रामगोपाल अग्रवाल, और सिद्धार्थ सिंघानिया जैसे नाम शामिल हैं।

जांच के अनुसार, रोशन चंद्राकर ने विभिन्न जिलों से वसूली गई राशि को सिद्धार्थ सिंघानिया के माध्यम से अनवर ढेबर तक पहुंचाया, जो आगे अनिल टुटेजा तक गया। इस घोटाले ने सैकड़ों करोड़ रुपये के सरकारी कोष को नुकसान पहुंचाया। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू ) की जांच में यह भी सामने आया कि, यह राशि नकद और डिजिटल लेनदेन के माध्यम से कई स्तरों पर हस्तांतरित की गई, जिसमें बिचौलियों और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों की भूमिका थी।

 
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