प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबियाई संसद को संबोधित करते हुए कहा कि अफ्रीका को केवल कच्चे माल के स्रोत के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे महाद्वीप के रूप में देखा जाना चाहिए जो मूल्य सृजन और सतत विकास में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने भारत-अफ्रीका साझेदारी को साझा उद्देश्य और समावेशी प्रगति पर आधारित बताया।
मुख्य बिंदु:
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अफ्रीकी संघ के एजेंडा 2063 के प्रति भारत के समर्थन की पुनः पुष्टि की गई, खासकर औद्योगीकरण लक्ष्यों के संदर्भ में।
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प्रधानमंत्री ने रक्षा और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता जताई।
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उन्होंने कहा कि अफ्रीकी देशों को साझेदारी के आधार पर, अपनी स्वदेशी पहचान बनाए रखते हुए, सामूहिक रूप से आगे बढ़ना चाहिए।
वैश्विक दक्षिण के लिए भारत की प्रतिबद्धता:
श्री मोदी ने कहा कि भारत वैश्विक दक्षिण के भविष्य को लेकर गहराई से चिंतित है और वह केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दुनिया के साथ मिलकर आगे बढ़ने में विश्वास करता है।
स्थानीय विकास पर ज़ोर:
भारत ने अफ्रीका में स्थानीय कौशल निर्माण, रोज़गार सृजन और स्थानीय नवाचार को बढ़ावा देने में लगातार निवेश करने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा, डिजिटल सहयोग और उद्यमिता के क्षेत्र में हाल ही में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों को द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला बताया।
ऐतिहासिक संबंधों और लोकतांत्रिक मूल्यों की सराहना:
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और नामीबिया के बीच लंबे और गहरे ऐतिहासिक संबंधों की याद दिलाई, और कहा कि भारत ने नामीबिया के मुक्ति संग्राम में गर्व से साथ दिया था। उन्होंने डॉ. सैम नुजोमा की विरासत को श्रद्धांजलि दी और दोनों देशों की लोकतांत्रिक परंपराओं और मूल्यों की सराहना की।
महिला नेतृत्व की ऐतिहासिक उपलब्धि:
नामीबिया की पहली महिला राष्ट्रपति के चुनाव को प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का उदाहरण देते हुए लोकतंत्र की परिवर्तनकारी शक्ति को रेखांकित किया, जो भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकतंत्र की जननी और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में नामीबिया की जनता और संसद को शुभकामनाएं दीं, और दोनों देशों के उज्जवल भविष्य के प्रति अपनी आशा प्रकट की।