नई दिल्ली, 20 नवंबर । केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और वन हेल्थ पर कार्यकारी संचालन समिति के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि नेशनल वन हेल्थ मिशन संपूर्ण सरकार और संपूर्ण समाज के सहयोग का एक अनूठा उदाहरण है।
भारत मंडपम के कन्वेंशन हॉल में एक वीडियो संदेश के ज़रिए नेशनल वन हेल्थ मिशन असेंबली-2025 में नड्डा ने गुरुवार को कहा कि 'वन अर्थ, वन हेल्थ, वन फ्यूचर' सिर्फ़ एक थीम नहीं है- यह स्वास्थ्य सुरक्षा को मज़बूत करने और भविष्य की महामारियों के ख़िलाफ़ तैयारी बढ़ाने के लिए हमारे दृष्टिकोण की नींव है। पिछले एक दशक में भारत फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि भारत ने 100 से ज़्यादा देशों के लिए टीके विकसित किए और उनकी आपूर्ति की है, जो एक विश्वसनीय वैश्विक भागीदार के रूप में हमारी भूमिका की पुनः पुष्टि करता है।
इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल, केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अजय के. सूद और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव एवं भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल भी उपस्थित थे।
इस दो दिवसीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री नड्डा ने कहा कि मिशन ने प्रमुख गतिविधियों को लागू करना शुरू कर दिया है, जिसमें एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध और संक्रामक रोगजनकों की निगरानी के लिए बूचड़खानों, पक्षी अभयारण्यों, चिड़ियाघरों और प्रमुख शहरों में अपशिष्ट जल प्रणालियों में एकीकृत निगरानी शामिल है। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रकोप जांच और चिकित्सा काउंटरमेजर्स का विकास चल रहा है, जो हमारे महामारी से लड़ने की तैयारी संबंधी आर्किटेक्चर को मज़बूत कर रहा है। वे खतरों का शीघ्र पता लगाने और त्वरित प्रतिक्रिया देने की हमारी क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगी।
इस अवसर पर बीएसएल3 प्रयोगशाला नेटवर्क एसओपी संग्रह जारी किया गया, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रयोगशालाएं सामंजस्यपूर्ण प्रोटोकॉल का पालन करें।
इस अवसर पर डॉ. पॉल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज एक एकीकृत, सहयोगात्मक इकोसिस्टम के माध्यम से मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक सच्चे जन आंदोलन की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि एक अर्थ, वन हेल्थ, वन फ्यूचर का विषय एक शक्तिशाली राष्ट्रीय मंत्र को दर्शाता है, जिसे सामूहिक कार्रवाई का मार्गदर्शन करना चाहिए।
