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भारतीय तटरक्षक बल ने देश की समुद्री क्षमता को मजबूत करने पर दिया जोर

Date : 27-Nov-2025


नई दिल्ली, 27 नवंबर । इंडियन कोस्ट गार्ड (​आईसीजी) ने कर्नाटक के मदिकेरी में अपनी पहली जहाज निर्माण,​ स्वदेशी और​ आईटी कॉन्फ्रेंस की। यह देश की समुद्री क्षमता को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत और डिजिटल बदलाव के विजन को आगे बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है। इस कॉन्फ्रेंस में बड़े शिपयार्ड, इक्विपमेंट बनाने वाले, क्लासिफिकेशन सोसायटी और पूरे समुद्री इकोसिस्टम के​ विषय विशेषज्ञ एक साथ आए, जिससे सहयोग और नवाचार के लिए एक जबरदस्त प्लेटफ़ॉर्म बना।

​अपने उद्घाटन भाषण में आईसीजी के महानिदेशक परमेश शिवमणि ने स्वदेशी नवाचार, मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और मजबूत सप्लाई चेन के जरिए शिपबिल्डिंग में आत्मनिर्भरता हासिल करने की रणनीतिक जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने आईसीजी की ऑपरेशनल क्षमताओं को बढ़ाने में लगातार सपोर्ट के लिए भारतीय जहाज उद्योग और उपकरण निर्माताओं की तारीफ की। उन्होंने 200वें स्वदेशी रूप से बन रहे जहाज (चौथा पॉल्यूशन कंट्रोल शिप) की प्रगति को सराहा, जो अभी समुद्री परीक्षण से गुजर रहा है। यह जहाज आईसीजी के टेक्नोक्रेट्स की तकनीकी समझ और बेहतर इंजीनियरिंग का सबूत है।

उन्होंने प्रोजेक्ट डिजिटल कोस्ट गार्ड की लगातार प्रगति के बारे में भी बताया, जो सभी आईसीजी यूनिट्स में सुरक्षित और मजबूत डिजिटल बैकबोन बनाने के लिए डिजाइन की गई पहल है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल विस्तार को मजबूत साइबर सुरक्षा फ्रेमवर्क के साथ-साथ चलना चाहिए। कॉन्फ्रेंस के दौरान आईसीजी और कोयंबटूर डिस्ट्रिक्ट स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, डिफेंस इनोवेशन एंड अटल इनक्यूबेशन सेंटर के बीच एक समझौता हुआ।

इस पार्टनरशिप का मकसद कोयंबटूर में डिफेंस इनोवेशन हब के जरिए स्ट्रक्चर्ड सहयोग को बढ़ावा देना, डिफेंस इनोवेशन इकोसिस्टम को मजबूत करना और स्वदेशीकरण की पहल को तेज करना है। कार्यक्रम के दौरान महानिदेशक ने ई-बुक 'इंडियन कोस्ट गार्ड में शिपबिल्डिंग का इतिहास', आईसीजी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए रोडमैप और साइबर क्राइसिस मैनेजमेंट प्लान–2025 का एक टीजर भी रिलीज किया, जिसमें हर एक ने क्षमता बढ़ाने, डिजिटल विकास और भविष्य की तैयारी के लिए संगठन की प्रतिबद्धता को दिखाया गया।

कॉन्फ्रेंस ने​ हितधारकों के बीच सार्थक बातचीत को आसान बनाया, जिससे नजरिए का तालमेल, कोशिशों का तालमेल और इंडियन कोस्ट गार्ड के भविष्य के लिए तैयार जरूरतों को बताया जा सका। यह एक तकनीकी रूप से मजबूत, ​बेहतर ​परिचालन और पूरी तरह से स्वदेशी समुद्री सेना के लिए रास्ता बनाने में एक अहम कदम था।

 
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