भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक नया कृत्रिम बुद्धिमत्ता ढांचा, कैंसर के निदान और उपचार में आण्विक स्तर पर विश्लेषण करके, केवल पारंपरिक अवस्था निर्धारण पर निर्भर रहने के बजाय, परिवर्तन लाने का वादा करता है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत स्वायत्त संस्थान एसएन बोस राष्ट्रीय आधारभूत विज्ञान केंद्र के शोधकर्ताओं ने अशोक विश्वविद्यालय के सहयोग से ओन्कोमार्क नामक एक एआई मॉडल बनाया है, जो कैंसर की प्रगति को संचालित करने वाले छिपे हुए जैविक कार्यक्रमों को पढ़ने में सक्षम है।
कैंसर मेटास्टेसिस, प्रतिरक्षा से बचने और जीनोमिक अस्थिरता जैसे "हॉलमार्क" द्वारा नियंत्रित होता है, जिन्हें टीएनएम स्टेजिंग जैसी पारंपरिक प्रणालियाँ अक्सर पकड़ नहीं पातीं। ऑन्कोमार्क विशाल डेटासेट का विश्लेषण करके इन हॉलमार्क गतिविधियों की पहचान करता है, जिससे यह समझने में मदद मिलती है कि एक ही चरण में वर्गीकृत होने पर भी ट्यूमर कैसे और क्यों अलग-अलग व्यवहार करते हैं।
डॉ. शुभाशीष हलधर और डॉ. देबयान गुप्ता के नेतृत्व वाली टीम ने 14 प्रकार के कैंसरों की 31 लाख एकल कोशिकाओं पर मॉडल को प्रशिक्षित किया, जिससे सिंथेटिक "स्यूडो-बायोप्सी" उत्पन्न हुईं जो हॉलमार्क-संचालित ट्यूमर अवस्थाओं का पता लगाती हैं। इस प्रणाली ने आंतरिक परीक्षणों के दौरान 99% से अधिक सटीकता हासिल की और कई स्वतंत्र रोगी समूहों में 96% से अधिक सटीकता बनाए रखी।
आठ प्रमुख डेटासेट से 20,000 वास्तविक रोगी नमूनों का उपयोग करके ऑन्कोमार्क को और अधिक प्रमाणित किया गया, जिससे इसकी व्यापक नैदानिक क्षमता का प्रदर्शन हुआ। पहली बार, शोधकर्ता यह दृश्य रूप से दर्शाने में सक्षम हुए कि कैंसर के बढ़ने के साथ हॉलमार्क गतिविधि कैसे तीव्र होती है।
कम्युनिकेशंस बायोलॉजी (नेचर पब्लिशिंग ग्रुप) में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि यह उपकरण मरीज के ट्यूमर में कौन से विशिष्ट मार्ग सक्रिय हैं, यह पहचान कर व्यक्तिगत उपचार का मार्गदर्शन कैसे कर सकता है। इससे चिकित्सकों को लक्षित दवाओं का अधिक प्रभावी ढंग से चयन करने और आक्रामक कैंसरों की पहचान करने में मदद मिल सकती है, जो नियमित स्टेजिंग के माध्यम से कम खतरनाक लग सकते हैं।
