भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक और बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि की ओर कदम बढ़ा चुका है। इसरो जल्द ही अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर एक अनोखा और बेहद रोचक प्रयोग करने जा रहा है। इस मिशन में भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष की उड़ान भरेंगे और अपने साथ एक अद्भुत जीव – टार्डिग्रेड्स यानी 'वॉटर बियर' लेकर जाएंगे।
क्या हैं टार्डिग्रेड्स (Water Bears)?
टार्डिग्रेड्स सूक्ष्म, आठ पैरों वाले जीव हैं जिन्हें वॉटर बियर या मॉस पिगलेट भी कहा जाता है। इनका आकार केवल 0.3 से 0.5 मिलीमीटर होता है, इसलिए इन्हें देखने के लिए माइक्रोस्कोप की जरूरत होती है। इनके शरीर पर एक कठोर आवरण (क्यूटिकल) और नन्हे पंजों वाले पैर होते हैं, जिससे ये बेहद धीमी गति से चलते हैं।
ये जीव पृथ्वी पर लगभग हर वातावरण में पाए जाते हैं – काई, मिट्टी, समुद्र, पहाड़, गर्म झरने, यहां तक कि ध्रुवीय बर्फ में भी। इनकी खासियत है कि ये चरम परिस्थितियों जैसे अत्यधिक तापमान, विकिरण, उच्च दबाव और शून्य गुरुत्व में भी जीवित रह सकते हैं।
क्या होगा इसरो का स्पेस एक्सपेरिमेंट?
'Voyager Tardigrades Experiment' नाम का यह प्रयोग, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भारत द्वारा भेजे गए सात अन्य अध्ययनों में से एक है। इसका उद्देश्य टार्डिग्रेड्स के पुनर्जीवन, अस्तित्व, प्रजनन और उनके जीन एक्सप्रेशन पैटर्न का अध्ययन करना है।
मिशन के दौरान वैज्ञानिक यह देखेंगे कि अंतरिक्ष में इन जीवों द्वारा दिए गए अंडों में से कितने फूटते हैं और उनकी तुलना पृथ्वी पर रखे गए टार्डिग्रेड्स से करेंगे। यह अध्ययन यह समझने में मदद करेगा कि टार्डिग्रेड्स जैसी प्रजातियां अंतरिक्ष में कैसे व्यवहार करती हैं।
क्यों है यह प्रयोग खास?
इस शोध का मकसद टार्डिग्रेड्स के मॉलिक्यूलर मैकेनिज्म को समझना है – यानी वो जैविक प्रक्रियाएं जिनके कारण ये जीव चरम परिस्थितियों में भी ज़िंदा रह पाते हैं। इससे न केवल भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं में जीवन की संभावनाएं बढ़ेंगी, बल्कि यह पृथ्वी पर जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
ISRO का यह कदम एक बार फिर भारत को वैश्विक अंतरिक्ष विज्ञान में अग्रणी भूमिका दिलाने की दिशा में बड़ा और साहसी प्रयास है।