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सुपरकैपेसिटर में गैर-ज्वलनशील इलेक्ट्रोलाइट का उपयोग

Date : 26-Aug-2023

 हाल ही में शोधकर्ताओं ने ऊर्जा संग्रहण के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी खोज की है। इस नई खोज में सीमेंट में उच्च चालकता वाले कार्बन (ग्रैफीन या कार्बन नैनोनलिकाओं) का उपयोग करके सीमेंट रचनाओं में सुपरकैपेसिटर बनाने का एक किफायती तरीका विकसित किया गया है। इन विद्युतीकृत सीमेंट संरचनाओं में पर्याप्त ऊर्जा संचित की जा सकती है जिससे घर और सड़कें बैटरियों की तरह काम कर पाएंगे।

गौरतलब है कि सुपरकैपेसिटर  में दो चालक प्लेट्स का उपयोग किया जाता है जिसके बीच में एक इलेक्ट्रोलाइट और एक पतली झिल्ली होती है। जब यह उपकरण चार्ज होता है, विपरीत आवेश वाले आयन अलग-अलग प्लेट्स पर जमा होने लगते हैं। इन उपकरणों में ऊर्जा संचयन की क्षमता प्लेट्स की सतह के क्षेत्रफल पर निर्भर करती है। पिछले कई वर्षों से वैज्ञानिकों ने कॉन्क्रीट और कार्बन सम्मिश्र जैसी सामग्रियों में सुपरकैपेसिटर बनाने के प्रयास किए हैं। चूंकि सुपरकैपेसिटर में गैर-ज्वलनशील इलेक्ट्रोलाइट का उपयोग होता है इसलिए ये पारंपरिक बैटरियों की तुलना में अधिक सुरक्षित हैं।

सामान्य सीमेंट विद्युत का एक खराब चालक होता है। इस समस्या के समाधान के लिए शोधकर्ताओं ने अत्यधिक सुचालक कार्बन रूपों (ग्रैफीन या कार्बन नैनोट्यूब्स) को सीमेंट में मिलाया। यह तकनीक काफी प्रभावी साबित हुई लेकिन बड़े पैमाने पर इनका उत्पादन काफी खर्चीला और कठिन होता है। इसके किफायती विकल्प की तलाश में एमआईटी के फ्रांज़-जोसेफ उल्म और उनकी टीम ने ब्लैक कार्बन का उपयोग किया जो पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और किफायती भी है। इस मिश्रण के कठोर होने पर सीमेंट के भीतर सुचालक तंतुओं का एक समन्वित जाल बन गया। इस सीमेंट को छोटे सुपरकैपेसिटर प्लेट्स के रूप में तैयार करने के बाद इसमें इलेक्ट्रोलाइट के रूप में पोटैशियम क्लोराइड और पानी का उपयोग किया गया। इसके बाद शोधकर्ताओं ने इस उपकरण से एलईडी बल्ब जलाया।

प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यदि कार्बन ब्लैक सीमेंट का उपयोग 45 घनमीटर कॉन्क्रीट (यानी एक सामान्य घर की नींव के बराबर) बनाने के लिए किया जाता है तो यह 10 किलोवॉट-घंटा ऊर्जा संचित कर सकता है जो एक औसत घर की एक दिन की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा कर सकती है। बड़े पैमाने पर इस बिजली का उपयोग पार्किंग स्थलों, सड़कों और इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग में किया जा सकता है। इसके अलावा यह महंगी बैटरियों का प्रभावी विकल्प पेश करके विकासशील देशों में ऊर्जा भंडारण की समस्या को भी हल कर सकता है।

हालांकि बड़े पैमाने पर इस तकनीक का उपयोग चुनौतीपूर्ण है। जैसे-जैसे सुपरकैपेसिटर बड़े होते हैं, उनकी चालकता कम हो जाती है। इसका एक समाधान सीमेंट में ज़्यादा ब्लैक कार्बन का उपयोग हो सकता है लेकिन ऐसा करने पर सीमेंट की मज़बूती कम होने की संभावना है। फिलहाल शोधकर्ताओं ने इस तकनीक को पेटेंट कर लिया है और वाहनों में उपयोग होने वाली 12-वोल्ट बैटरी जैसा आउटपुट प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। 

 
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