Quote :

कानून का सम्मान करना आवश्यक है, ताकि हमारा लोकतंत्र मजबूत बना रहे - लाल बहादुर शास्त्री

Travel & Culture

आने वाले छट्टियों में एक्सप्लोर कीजिए भारत की अनोखी रहस्यमयी गाँव को, जहाँ रात में नहीं ठहर सकते पर्यटक

Date : 05-Dec-2024

मलाणा गांव ना सिर्फ बेहद खूबसूरत है बल्कि रहस्यमयी भी है। इस गांव को लेकर ऐसी कई बातें हैंजिसे हर कोई नहीं जानता।

मलाणा गांवजो हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के उत्तर-पूर्व में स्थित हैअपनी खूबसूरती और रहस्यमय कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। यह प्राचीन गांव, 12,000 फीट की ऊंचाई परगहरी खाइयों और बर्फीले पहाड़ों से घिरा हुआ है। हालांकियहां तक पहुंचने के लिए कोई सीधी बस या ट्रेन सुविधा नहीं हैयात्रियों को कुछ किलोमीटर ट्रेकिंग करनी पड़ती है।

 

मलाणा गांव के बारे में कहा जाता है कि यहां के लोग यूनानी सम्राट सिकंदर के सैनिकों के वंशज हैंहालांकि इस दावे की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है। यह गांव अपनी अनोखी संस्कृति और परंपराओं के लिए भी जाना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि इस गांव में आने वाले ज्यादातर पर्यटक विदेशी होते हैं। मलाणा अपनी सुंदरता और अद्वितीय रहस्यों के साथ पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है।

 

मलाणा गांव अपनी अनूठी संस्कृति और रहस्यमय परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां के लोग खुद को यूनानी सम्राट सिकंदर के सैनिकों का वंशज मानते हैं। उनके नैन-नक्श भी अन्य पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों से काफी अलग हैं। कहा जाता है कि जब सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया थातो उनके कुछ सैनिकों ने इस गांव में शरण ली। हार के बाद सिकंदर तो वापस लौट गयालेकिन कुछ सैनिक यहीं बस गए और इस गांव को अपना घर बना लिया।

हालांकिइस दावे की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई हैलेकिन गांव में मौजूद कुछ प्राचीन चीजेंजैसे सिकंदर के समय की तलवारइस कहानी को बल देती हैं। इसके अलावामलाणा के लोग एक विशेष भाषा "कनाशी" बोलते हैंजो केवल यहीं प्रचलित है और इसे बाहरी लोगों को सिखाने की मनाही है। उनके अनुसारयह एक पवित्र भाषा है।

 

गांव के लोग काफी रिजर्व रहते हैं और बाहरी लोगों से ज्यादा मेलजोल नहीं रखते। यहां की शादी-विवाह भी सिर्फ गांव के भीतर ही होते हैंक्योंकि वे बाहरी लोगों को अपने समाज का हिस्सा नहीं बनाते। मलाणा की यह विशिष्टता इसे और भी खास और आकर्षक बनाती है।

 

रात में टूरिस्टों को यहां आना है मना

 

मलाणा गांव अपनी अनूठी परंपराओं और नियमों के लिए प्रसिद्ध है। यहां टूरिस्ट केवल दिन में घूम सकते हैं क्योंकि रात में गांव में रुकने की इजाजत नहीं है। शाम होते ही मलाणा के सभी गेस्ट हाउस बंद कर दिए जाते हैं।

गांव के लोग जमलू देवता की पूजा करते हैं और उनके अनुसारकिसी बाहरी व्यक्ति को रात में गांव में ठहरने की अनुमति नहीं है। इस नियम का पालन आज भी सख्ती से किया जाता है। दिन के समय पर्यटकों को गांव में घूमने की अनुमति होती हैलेकिन शाम होते ही उन्हें गांव छोड़ना पड़ता है।

मलाणा को दुनिया के सबसे पुराने लोकतांत्रिक गांवों में से एक माना जाता है। यहां 11 सदस्यों की एक काउंसिल हैजो जमलू देवता के आदेशों का पालन करती है। हालांकिसमय के साथ गांव में कुछ बदलाव जरूर आए हैंलेकिन इसकी परंपराएं और विशेषताएं अब भी इसे खास बनाती हैं।

 

कैसे पहुंचे ?

मलाणा गांव पहुंचने के लिए यात्रियों को ट्रेन और बस दोनों की सुविधाएं मिल सकती हैंलेकिन रास्ता इतना भी आसान नहीं है। अगर आप बस से आ रही हैं तो इसके लिए आपको सबसे पहले मलाणा बस स्टॉप पहुंचना होगा और वहीं अपनी गाड़ी छोड़नी पड़ेगी। ध्यान रखें कि यहां कोई पार्किंग सुविधा नहीं हैइसलिए आप अपनी रिस्क पर ही गाड़ी छोड़ें। मलाणा बस स्टॉप पहुंचने के बाद आपको 3 से 4 किलोमीटर पैदल ट्रैकिंग कर गांव तक पहुंचना होगा। वहीं अगर आप ट्रेन से आ रही हैं तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर है। जहां से गांव 123 किलोमीटर दूर है। आपको यहां से बस लेनी होगीजो आपको मलाणा बस स्टॉप तक छोड़ देगी। इसके अलावा नजदीकी एयरपोर्ट की बात करें तो वह है भुंतरजो गांव से 40 किलोमीटर दूर है। आप यहां से बस या फिर प्राइवेट टैक्सी कर गांव तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

 

 

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload

Advertisement









Advertisement