बेतवा नदी किनारे एक ऐसा शिवमंदिर अलौकिक शक्ति | The Voice TV

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बेतवा नदी किनारे एक ऐसा शिवमंदिर अलौकिक शक्ति

Date : 28-Aug-2023

 हमीरपुर शहर में बेतवा नदी किनारे एक ऐसा शिवमंदिर अलौकिक शक्ति के लिए विख्यात है जहां श्रद्धालुओं के पहुंचने से पहले ही शिव लिंग में जलाभिषेक हो जाता है। आखिर मंदिर में भोर होने से पहले शिव लिंग पर फूल कौन चढ़ाने आता है, ये आज भी रहस्यमय बना हुआ है। स्थानीय लोगों ने रात में जागकर यह रहस्य जानने की भी कोशिश की लेकिन इस अलौकिक चमत्कार कोई नहीं देख पाया। इस मंदिर में सावन मास के आखिरी सोमवार की धूम मची हुई है जो देर रात तक चलेगी।



हमीरपुर शहर के रमेड़ी मुहाल में बेतवा नदी के तट पर एक बड़ा मंदिर स्थित है। इसे देवादास मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर में राम जानकी और शिव लिंग विराजमान है। मंदिर के प्रवेश करने से पहले हनुमान जी की दो बड़ी प्रतिमाएं भी है। मंदिर भी सैकड़ों साल पुराना है। स्थानीय अमर सिंह और ओमप्रकाश सहित तमाम बुजुर्गों ने बताया कि यह मंदिर सैकड़ों साल पहले बना था। ये चूना पत्थर से बना है। इसकी बनावट और भव्यता से प्रतीत होता है कि देवादास मंदिर मराठा कालीन है। मंदिर भी करीब तीस फीट ऊंचा है। जो बेतवा नदी पार कई किमी दूर से दिखता है। पिछले पांच दशकों के अंदर यमुना और बेतवा नदियों में आई भीषण बाढ़ के समय में भी इस मंदिर में कोई आंच नहीं आई। मजबूती भी बेमिसाल है इसमें दैवीय आपदाएं आने के बाद आज भी यह मंदिर खड़ा है।



भोर होने से पहले ही शिव लिंग में जलाभिषेक के बाद चढ़ जाते है फूल

रमेड़ी मुहाल के बुजुर्ग अमर सिंह, सूर्य कुमार तिवारी, ओमप्रकाश, रमाकांत, कन्हैया सिंह समेत तमाम लोगों ने बताया कि मंदिर में विराजमान शिव लिंग की महिला बड़ी निराली है। बताया कि भोर होने से पहले कई मर्तबा बुजुर्ग और नौजवान लोग पूजा अर्चना करने पहुंचते है लेकिन उनके जाने से पहले ही शिव लिंग पर जलाभिषेक हो जाता है। जलाभिषेक के बाद शिव लिंग पर फूल चढ़े मिलते हैं।

अमर सिंह ने बताया कि इस रहस्य को जानने के लिए सुबह चार बजे मंदिर पहुंचने पर देखा कि शिव लिंग की पूजा हो चुकी है। रात में एक बजे भी मंदिर जाने पर शिव लिंग पर जलाभिषेक के बाद फूल चढ़े मिले। उन्होंने बताया कि यह रहस्य जानने के लिए रात में एक बजे फिर मंदिर जाकर देखा तो शिव लिंग में फूल चढ़े मिले। बस यहीं से लोगों की आस्था बढ़ गई।



भोलेनाथ के मंदिर में शहर की आधी की आबादी लगाती है हाजिरी

मराठा काल में बने इस मंदिर में विराजमान शिव लिंग की पूजा के लिए शहर की आधी आबादी बड़े ही श्रद्धा भाव से मंदिर जाती है। रमेड़ी और आसपास के तमाम इलाके से महिलाएं और पुरुष नंगे पांव रोजाना मंदिर पहुंचकर सबसे पहले शिवलिंग का जलाभिषेक कर पूजा करते हैं फिर राम जानकी और हनुमान जी की स्थानीय लोग पूजा अर्चना करते हैं।

कन्हैया सिंह ने बताया कि इस शिवमंदिर के सामने एक बांबी भी है। ये बांबी भी सैकड़ों साल पुरानी है जहां शहर और आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग पूजा के लिए आते है। सब्बल अवस्थी ने बताया कि मन्नत पूरी होने पर यहां तमाम बार लोगों ने विशेष पूजा और अनुष्ठान कराए है। बताया कि यहां नवदुर्गा महोत्सव के दौरान भंडारे का आयोजन भी स्थानीय लोगों की मदद से होता है।

 
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