"नभ - थल - जल पर वर्चस्व की अधिष्ठात्री देवी :बंदीछोड़ महाविद्या त्रिपुर भैरवी"
Date : 12-Jul-2024
- गुप्त नवरात्र के षष्ठम् दिवस
वाराणसी की विशिष्ट शैली की सकरी गलियों में मां त्रिपुर भैरवी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर के पास से गुजरने वालों के सिर मां के समक्ष अपने आप झुक जाते हैं। माना जाता है कि मां त्रिपुर भैरवी के दर्शन-पूजन से सभी प्रकार के दुःख दूर हो जाते हैं। मां का ऐसा माहात्म्य है कि इनके आस-पास का पूरी बस्ती त्रिपुर भैरवी के नाम से जाना जाता है। मां त्रिपुर भैरवी का स्थान दस महाविद्या में छटवें स्थान पर है। सर्वश्रुत है कि मां की अद्भुत प्रतिमा स्वयंभू है। इनके भक्तों को सहज रूप से विद्या प्राप्त होती है। मान्यता के अनुसार मां अपने भक्तों को विद्या के साथ सुख-सम्पत्ति भी प्रदान करती हैं। छोटे से इस मंदिर में मुख्य द्वार के सामने मां की बेहद भावपूर्ण मुद्रा की प्रतिमा स्थापित है जो कि गली से दिखाई देती है। मंदिर परिसर में ही एक तरफ त्रिपुरेश्वर महादेव का शिवलिंग स्थापित है।त्रिपुर भैरवी की उपासना से सभी बंधन दूर हो जाते हैं। यह बंदीछोड़ माता है। भैरवी के नाना प्रकार के भेद बताए गए हैं जो इस प्रकार हैं त्रिपुरा भैरवी, चैतन्य भैरवी, सिद्ध भैरवी, भुवनेश्वर भैरवी, संपदाप्रद भैरवी, कमलेश्वरी भैरवी, कौलेश्वर भैरवी, कामेश्वरी भैरवी, नित्याभैरवी, रुद्रभैरवी, भद्र भैरवी तथा षटकुटा भैरवी आदि। त्रिपुरा भैरवी ऊर्ध्वान्वय की देवता हैं।