लुब्धमर्येन गृह्णीयात्स्तब्धमंजलिकर्मणा।
मूर्खश्छन्दानुरोधेन यथार्थवादेन पण्डितम् ॥
यहां आचार्य चाणक्य वशीकरण के सम्बन्ध में बताते हैं कि लालची को धन देकर, अहंकारी को हाथ जोड़कर, मूर्ख को उपदेश देकर तथा पण्डित को यथार्थ बात बताकर वश में करना चाहिए।
भाव यह है कि लालची व्यक्ति को धन देकर कोई भी काम कराया जा सकता है। घमण्डी व्यक्ति से कोई काम कराना हो तो उसके सामने हाथ जोड़कर, झुककर चलना चाहिए। मूर्ख व्यक्ति को केवल समझा-बुझाकर ही वश में किया जा सकता है। विद्वान् व्यक्ति से सत्य बात कहनी चाहिए, उन्हें स्पष्ट बोलकर ही वश में किया जा सकता है।