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क्या है NavIC ?

Date : 29-May-2023

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने  आज सुबह अपने नौवहन समूह के लिए दूसरी पीढ़ी के उपग्रहों में से पहला सफलतापूर्वक लॉन्च किया। तारामंडल में सबसे भारी 2,232 किलोग्राम का उपग्रह, जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था, जिसे श्रीहरिकोटा से सुबह 10:42 बजे लॉन्च किया गया था।

भारत का NavIC अमेरिका के GPS (Global Positioning System), रूस के ग्लोनास, यूरोप के गलीलियो जैसा है। IRNSS-1-I उपग्रह की सफलता के साथ ही भारत का अपना केवल उपग्रहों का जाल तैयार हो गया है, बल्कि देश के पास अपना GPS भी हो गया है। पूर्ण रूप से सक्रिय होने के बाद GPS के लिये भारत को दूसरे देशों पर निर्भर रहना नहीं पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि कारगिल घुसपैठ के समय भारत के पास ऐसा कोई सिस्टम मौजूद नहीं होने के कारण सीमापार से होने वाली  घुसपैठ का समय रहते पता नहीं लगाया जा सका। भारत ने अमेरिका से GPS सिस्टम से सहायता करने का अनुरोध किया गया था, लेकिन तब अमेरिका ने इनकार कर दिया था। उसके बाद से ही GPS की तरह ही स्वदेशी नेवीगेशन सेटेलाइट नेटवर्क के विकास पर ज़ोर दिया गया; और अब भारत ने खुद इसे विकसित कर बड़ी कामयाबी हासिल की है।

NavIC के प्रमुख अनुप्रयोग

  1. ·         सैन्य और कूटनीतिक दृष्टि से होने वाले फायदों के अलावा NavIC के कई व्यावसायिक और सामाजिक लाभ भी होंगे। 
  2. ·         आस-पड़ोस के देशों को GPS सुविधा दी जा सकती है जिससे पड़ोसी देशों को मौसम संबंधी पूर्वानुमान, मैंपिग जैसी सुविधाएँ देकर सरकार को आय हो सकती है। 
  3. ·         देश के दूर-दराज के इलाकों पर GPS की मदद से नज़र रखी जा सकेगी। 
  4. ·         देश के अलग-अलग इलाकों में चल रही अवसंरचना परियोजनाओं की रीयल टाइम मैंपिग की जा सकती सकेगी। 
  5. ·         सड़क और रेल यातायात पर भी GPS सिस्टम का अच्छा असर पड़ेगा। सड़क पर लगे ट्रैफिक जाम का पहले से जानकारी लेकर वैकल्पिक मार्ग सुझाए जा सकते हैं और देर से चल रही ट्रेनों की रीयल टाइम ट्रैकिंग की जा सकती है। 
  6. ·         व्यवसायिक रूप से लंबी दूरी तय करने वाले भारतीय मालवाहक जहाज़ों को भी इससे फायदा होगा, क्योंकि इसकी मदद से ज़्यादा सुरक्षित सफर को पहले चुना जा सकता है। 
  7. ·         आपदाओं के समय मलबे में दबे लोगों का पता लगाया जा सकता है। 

NavIC की कार्यप्रणाली 

  1. ·         NavIC के उपग्रह दो माइक्रोवेव फ्रीक्वेंसी बैंड पर सिग्नल देते हैं, जो L5 और S के नाम से जाने जाते हैं। 
  2. ·         यह स्टैंडर्ड पोजीशनिंग सर्विस तथा रिस्ट्रिक्टेड सर्विस की सुविधा प्रदान करता है। 
  3. ·         इसकी 'स्टैंडर्ड पोजीशनिंग सर्विस' सुविधा भारत में किसी भी क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति की स्थिति बता सकती है।
  4. ·         इसकी 'रिस्ट्रिक्टेड सर्विस' सेना तथा महत्त्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों के लिये सुविधाएं प्रदान करने का काम करती है।
  5. ·         सेटेलाइट रेंजिंग और निगरानी, जेनरेशन और नेवीगेशन मानदंड के प्रसारण के लिये कुछ ज़मीनी सुविधाएँ बहाल करनी होती हैं। इस तरह की सुविधाएँ देश भर में 18 जगहों पर स्थापित की जा रही हैं।
  6. ·         भारत के आगामी महत्त्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियान 

 

 

 
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