सनातन धर्म में गंगा नदी को बेहद पवित्र और पूजनीय माना जाता है। गंगा मोक्षदायिनी गंगा माता है, सभी के पापों का नाश करने वाली हैं पतित पावनी गंगा। यही कारण है कि गंगा दशहरा का पर्व हिंदू धर्म के लोगों के लिए बेहद खास होता है। हिंदू पंचांग अनुसार हर साल ये पर्व ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पड़ता है। गंगा दशहरा 30 मई को निर्जला एकादशी से एक दिन पहले मनाया जाता है ।
गंगा दशहरा का पर्व क्यों मनाया जाता है
गंगा दशहरा को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है। धार्मिक मान्यताओ के अनुसार मां गंगा विष्णु लोक में भगवान श्री हरि विष्णु के चरणों में सेवारत रहती थीं। भागीरथ ने ब्रम्हा जी से वरदान मांगे पहला उनके पूर्वजो की मुक्ति के लिए और दूसरा उनके वंश को आगे बढ़ाने के लिए अतः ब्रम्हा जी ने उनको वरदान दिए।लेकिन राजा भागीरथ को अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए मां गंगा की जरूरत थी और इसलिए राजा भागीरथ मां गंगा को धरती पर लाने के लिए कठिन तपस्या की। राजा के तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने धरती पर आने का निर्णय लिया। लेकिन मां गंगा का प्रवाह इतना तेज था कि धरती पर उनके आने से विपत्ति आ सकती थी और गंगा को नियंत्रित करने की शक्ति सिर्फ भगवान शिव के पास थी। ऐसे में भागीरथ जी ने शिव की तपस्या शुरू कर दी। भागीरथ ने पूरे 1 साल तक एक पैर के अंगूठे पर खड़े होकर अन्न जल त्याग कर शिव जी की आराधना की। भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेट लिया। गंगा शिव की जटाओं में 32 दिनों तक विचरण करती रहीं। फिर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को महादेव ने अपनी एक जटा से गंगा को धरती पर अवतरित किया। इसके बाद भागीरथ ने अपने पूर्वजों का गंगाजल से तर्पण कर, उन्हें मोक्ष दिलाया।
और गंगा नदी हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर से शुरू होती है और बंगाल की खाड़ी में सुंदरबन डेल्टा में गिरती है.
गंगा दशहरा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही जीवन की कई समस्याओं का अंत हो जाता है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व माना जाता है। इससे ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से कुछ राहत मिल जाती है। पितरों के तर्पण के लिए भी ये दिन महत्वपूर्ण माना जाता है।
गंगा दशहरा पूजा विधि
गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करने की परंपरा है, इसलिए लोग इस दिन गंगा में डुबकी लगाएं और अगर संभव ना होतो अपने घर पर नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
स्नान के वक्त 'गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु' इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
मंत्र
गंगा में स्नान करते वक्त इस मंत्र का जाप जरुर करें.
ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः'