नई दिल्ली, 14 जुलाई। राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में एक 26 साल की युवती को नया दिल मिलने से नई जिंदगी मिल गई। 26 वर्षीय फादिमा को डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी की बीमारी थी, जिसके कारण उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी।
शुक्रवार को ऑपरेशन डोनर मिलने के बाद आरएमएल अस्पताल में कार्डियक सर्जरी के निदेशक प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र सिंह झाझरिया और विभागाध्यक्ष डॉ. विजय ग्रोवर ने यह सफल ह्रदय प्रत्यारोपण कर उसे नई जिंदगी दी। उनकी टीम में डॉ. नरेंद्र और डॉ. पलाश भी शामिल थे। एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. जसविंदर कोहली ने किया। इसी के साथ आरएमएल अस्पताल में यह तीसरा सफल ह्र्रदय प्रत्यारोपण किया गया है।
सोमवार को कार्डियक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. विजय ग्रोवर ने बताया कि उत्तर प्रदेश के शामली की 26 वर्षीय फादिमा महीनों से सांस लेने की तकलीफ से जूझ रही थीं, जिससे उनकी साधारण दैनिक गतिविधियां भी सीमित हो गई थीं। उनका हृदय डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी (एक ऐसी स्थिति जिसमें हृदय की रक्त पंप करने की क्षमता गंभीर रूप से क्षीण हो जाती है) के कारण केवल 10-15 प्रतिशत ही काम कर पा रहा था।
ऐसे में
उन्हें कई हफ़्तों से अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान और डॉ. आरएमएल अस्पताल में भर्ती कराया गया था और हृदय प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में रखा गया था।
डॉ. विजय ग्रोवरने बताया कि 12 जुलाई को, एक 24 वर्षीय युवक से मेल खाता हुआ हृदय उपलब्ध हुआ, जिसे चंडीगढ़ के स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआईऐआईआर) में ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। दाता को गिरने के बाद घातक मस्तिष्क की चोट लगी थी और उसके परिवार ने अंगदान के लिए सहमति दे दी। उसके बाद यहां से एक टीम चंडीगढ़ गई और ह्दय लेकर पहुंची जिसके बाद उसका तुरंत ऑपरेशन किया गया। उन्होंने कहा कि सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी हुई है और फादिमा को ऑपरेशन के बाद की निगरानी के लिए गहन चिकित्सा इकाई में स्थानांतरित कर दिया गया है।