भोपाल, 15 जुलाई। नशा कई जिंदगियों को बर्बाद करने का कारण बन रहा है। प्रदेश में आए कई मामलों को देखते हुए आज यानी कि 15 जुलाई ने मध्य प्रदेश पुलिस नशामुक्त राज्य बनाने की दिशा में एक वृहद जन-जागरूकता अभियान "नशे से दूरी – है जरूरी"की शुरुआत करने जा रही है। यह अभियान 30 जुलाई 2025 तक पूरे राज्य में संचालित किया जाएगा। पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाणा के मार्गदर्शन में यह अभियान पुलिस मुख्यालय की नारकोटिक्स विंग द्वारा चलाया जाना है।
इस संबंध में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (नारकोटिक्स) के. पी. वेंकटेश्वर राव का कहना है कि इस अभियान का उद्देश्य किशोरों और युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों से अवगत कराना, उन्हें इस लत से दूर रखना और जो लोग पहले से नशे की गिरफ्त में हैं, उन्हें उचित परामर्श और सहयोग प्रदान कर पुनर्वास की दिशा में मार्गदर्शन देना है।
उन्होंने बताया कि इस जन-जागरूकता अभियान में विभिन्न शासकीय विभाग, गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), धर्माचार्य, समाजसेवी, जनप्रतिनिधि, और ग्राम एवं नगर सुरक्षा समितियां सक्रिय रूप से भाग लेंगी। समाज के सभी वर्गों के सहयोग से समाज के हर वर्ग तक संदेश पहुंचाया जाएगा कि नशा केवल व्यक्ति ही नहीं, पूरे समाज को प्रभावित करता है इससे दूरी रखना नितांत आवश्यक है। यह अभियान स्कूलों, कॉलेजों, सार्वजनिक स्थलों और डिजिटल माध्यमों के जरिए जन-जागृति फैलाने का कार्य करेगा।
उल्लेखनीय है कि एक हालिया सम्मेलन में यह बताया गया कि भारत में ड्रग उपयोगकर्ता लगभग 25 करोड़ हो सकते हैं, जबकि आधिकारिक आंकड़े केवल 10 करोड़ दिखाते हैं। इनमें से लगभग 4 करोड़ पूरी तरह निर्भर हैं और लगभग 2 करोड़ इंजेक्ट करने वाले ड्रग यूज़र हैं । इससे जुड़ा एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण छह साल पूर्व 2019 में हुआ था, उसके आंकड़ें देखें तो अल्कोहल : 10–75 वर्ष आयु वर्ग में 14.6% यानी कि 16 करोड़ उपयोगकर्ता; 5.2% (लगभग 5.2 करोड़) की जनसंख्या इसमें संलिप्त पाई गई । कैनाबिस: 2.8% (3.1 करोड़); इनमें से लगभग 0.66% (72 लाख) लोग इससे जुड़े मिले। जिसमें कि ओपियॉइड्स: 2.06% (2.3 करोड़); करीब 0.55% (60 लाख) को उपचार की आवश्यकता थ्ज्ञी ।
अन्य नशीले तत्वों में सेडेटिव्स में 1.08% (1.18 करोड़), इनहेलेंट्स में 1.7% युवा, वयस्कों में 0.58% (18 लाख बच्चों को सहायता की आवश्यकता महसूस की गई थी। देश में उस वक्त इंजेक्टिंग ड्रग यूज़र्स की संख्या 8.5 लाख मिली थी। इसके साथ यह भी ध्यान में आया है कि पुरुषों के साथ महिलाओं में भी नशे की लत बढ़ती जा रही है। एम्स की रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं में अल्कोहल का उपयोग 1.6%, ओपियॉइड्स 0.26%, कैनाबिस 0.34%, तंबाकू (मुख्यतः स्मोकलेस) 8.9% स्तर पर किया जाता है।