बीजापुर, 15 जुलाई । सालभर में देश के अलग-अलग राज्यों में कुल 357 नक्सली मारे गए हैं। नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी ने मंगलवार काे जारी प्रेसनाेट और बुकलेट में यह स्वीकार किया है।जारी बुकलेट व प्रेसनाेट काे लेकर हिन्दुस्थान समाचार काेई आधिकारिक दावा नहीं करता है।
मंगलवार काे नक्सलियों ने 24 पेज का गोंडी बोली और अंग्रेजी में बुकलेट भी जारी किया। जारी बुकलेट में लिखा है कि सालभर में नक्सलियों के पोलित ब्यूरो मेंबर और नक्सल संगठन के महासचिव बसवा राजू समेत सेंट्रल कमेटी के 4 सदस्य, स्टेट कमेटी के 16 सदस्य मारे गए हैं। इन 357 में 136 महिला नक्सली भी मारी गई हैं। सबसे ज्यादा दंडकारण्य में 281 नक्सली ढेर हुए हैं। वहीं, पुलिस के अनुसार पिछले डेढ़ साल में सिर्फ बस्तर में ही करीब 420 से ज्यादा नक्सलियों काे मुठभेड़ में ढेर किया है।
नक्सलियों के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 14 बिहार-झारखंड, 23 तेलंगाना, 281 दंडकारण्य, 9 आंध्र-ओडिशा विशेष क्षेत्र/आंध्र प्रदेश, 8 महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी), 20 ओडिशा, 1 पश्चिमी घाट और 1 पंजाब से हैं। उनके 4 साथी खराब स्वास्थ्य और अनुचित उपचार के कारण, 1 दुर्घटना में, 80 फर्जी मुठभेड़ों में और 269 घेराबंदी हमलों में मारे गए। मारे गए नक्सलियों में बसवा राजू समेत राज्य समिति स्तर के 16, जिला समिति के 23, एसी/पीपीसी के 83, पार्टी के 138 सदस्य, पीएलजीए के 17 सदस्य, जन संगठनों के 6 सदस्य और 34 लोग शामिल हैं। 36 लोगों का विवरण उपलब्ध नहीं है। नक्सलियों का कहना है कि अधिकांश कगार युद्ध में मारे गए हैं। घेराबंदी के दौरान कुछ साथी पकड़े गए, जिनकी हत्या करने काा आराेप लगाया है।
मारे गए नक्सलियाें की याद में नक्सली 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीदी सप्ताह मनाएंगे। इस दौरान मारे गए साथियों को श्रद्धांजलि देंगे। गांव-गांव में सभा करेंगे। वहीं इस दौरान नक्सली किसी बड़े हमले की याेजना काे अंजाम देने का प्रयास कर सकते हैं। नक्सलियों के बुकलेट में लिखा है, कि देश में क्रांतिकारी आंदोलन को खत्म करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के 'कागार' युद्ध को विफल किया जाएगा।
बस्तर में एक जनवरी, 2024 से जून, 2025 तक हुई अलग-अलग मुठभेड़ों में 420 से ज्यादा नक्सलियों काे मार गिराया गया है। पुलिस के अनुसार, इनमें 2024 में 217 नक्सली और पिछले 6 महीने में 200 से ज्यादा नक्सली मारे गए हैं। वहीं नक्सलियों के अलग-अलग लेटर में जारी आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि नक्सल संगठन भी मारे गए नक्सलियों के स्पष्ट आंकड़े जारी नहीं कर रहा है। पिछले डेढ़ साल में नक्सलियों को बड़ी क्षति पहुंची है।