भारत के छठें राष्ट्रपति - नीलम संजीवा रेड्डी | The Voice TV

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भारत के छठें राष्ट्रपति - नीलम संजीवा रेड्डी

Date : 01-Jun-2023

नीलम संजीवा रेड्डी भारत के छठें राष्ट्रपति थे. उन्हें एक राजनेता और प्रशासक के रूप में याद किया जाता है. रेड्डी जी ने बचपन से ही स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लिया. उन्हें स्वतंतत्रा के पहले व बाद में एक अच्छे राजनेता के तौर पर उच्च स्थान में रखा गया. नीलम संजीवा रेड्डी भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे, जिनको राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर पहली बार असफलता मिली थी एवं दूसरी बार उम्मीदवार बनाए जाने पर राष्ट्रपति पद के लिए इनका चुनाव हुआ था.

जीवन परिचय

नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 19 मई, 1913 को इल्लुर ग्राम, अनंतपुर ज़िले में हुआ था, जो आंध्र प्रदेश में है। आंध्र प्रदेश के कृषक परिवार में जन्मे नीलम संजीव रेड्डी की छवि कवि, अनुभवी राजनेता एवं कुशल प्रशासक के रूप में थी। इनका परिवार संभ्रांत तथा भगवान शिव का परम भक्त था। इनके पिता का नाम नीलम चिनप्पा रेड्डी था जो कांग्रेस पार्टी के काफ़ी पुराने कार्यकर्ता और प्रसिद्ध नेता टी. प्रकाशम के साथी थे।

राजनैतिक सफर

नीलम संजीव रेड्डी की प्राथमिक शिक्षा थियोसोफिकल हाई स्कूलअड़यार, मद्रास में पूरी हुई। इससे आगे की शिक्षा आर्ट्स कॉलेज, अनंतपुर में ग्रहण की। महात्मा गांधी के आह्वान पर जब लाखों युवा पढ़ाई और नौकरी का त्याग कर स्वाधीनता संग्राम में जुड़ रहे थे मात्र अठारह वर्ष की आयु में नीलम संजीवा रेड्डी स्वतंत्रता संग्राम में जुड़ गए थे। इतना ही नहीं, महात्मा गांधी से प्रभावित होकर विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने पहला सत्याग्रह भी किया नीलम संजीव रेड्डी कई राष्ट्रवादी कार्यक्रमों में हिस्सेदारी भी की थी। इस दौरान इन्हें कई बार जेल की सज़ा भी काटनी पड़ी तथा उन्होंने युवा कॉग्रेस के सदस्य के रूप में अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। बीस वर्ष की उम्र में ही नीलम संजीवा रेड्डी काफी सक्रिय हो चुके थे। सन 1936 में नीलम संजीवा रेड्डी आन्ध्र प्रदेश कांग्रेस समिति के सामान्य सचिव निर्वाचित हुए. उन्होंने इस पद पर लगभग 10 वर्षों तक कार्य किया। नीलम संजीव रेड्डी संयुक्त मद्रास राज्य में आवासीय वन एवं मद्य निषेध मंत्रालय के कार्यों का भी सम्पादन करते थे। 1951 में इन्होंने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया, ताकि आन्ध्र प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष पद के चुनाव में भाग ले सकें. इस चुनाव में नीलम संजीव रेड्डी प्रोफेसर एन.जी. रंगा को हराकर अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। इसी वर्ष यह अखिल भारतीय कांग्रेस कार्य समिति और केन्द्रीय संसदीय मंडल के भी निर्वाचित सदस्य बन गए। नीलम संजीवा रेड्डी ने कांग्रेस पार्टी के तीन सत्रों की अध्यक्षता की। 10 मार्च, 1962 को इन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और यह 12 मार्च, 1962 को पुन: आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वह इस पद पर दो वर्ष तक रहे। उन्होंने खुद ही अपने पद से इस्तीफा दिया था। 1964 में नीलम संजीवा रेड्डी राष्ट्रीय राजनीति में आए और प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इन्हें केन्द्र में स्टील एवं खान मंत्रालय का भार सौंप दिया। इसी वर्ष वह राज्यसभा के लिए भी मनोनीत हुए और 1977 तक इसके सदस्य रहे।

सेवानिवृत्ति और निधन

25 जुलाई,1982 को अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद नीलम संजीव रेड्डी अनंतापुर चलेगए और अपने आप को कृषि कार्यों में व्यस्त कर दिया। कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े ने उन्हें बैंगलोर में बसने का न्योता दिया था पर उन्होंने अपने जीवन का बाकी समय बिताने के लिए अपने प्रिय नगर अनंतपुर को ही चुना। नीलम संजीव रेड्डी का निधन निमोनिया के कारण 1 जून 1996 को बैंगलोर नगर में हो गया।

 
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