आज 3 जून को भद्रा काल में वट पूर्णिमा व्रत है. इस दिन भद्रा सुबह 11 बजकर 16 मिनट से रात तक है. वट पूर्णिमा व्रत उत्तर भारत के वट सावित्री व्रत के समान ही होता है, इस दिन ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा व्रत के साथ ही वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा. लेकिन यह मुख्यत: गुजरात, महाराष्ट्र समेत दक्षिण भारत के राज्यों में रखा जाता है. इस व्रत में भी वट वृक्ष, देवी सावित्री और सत्यवान की पूजा करने का विधान है. इस व्रत को केवल सुहागन महिलाएं ही करती हैं.इसलिए इसे वट पूर्णिमा या वट सावित्री पूर्णिमा व्रत भी कहा जाता है.वट पूर्णिमा व्रत करने से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है.
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत पूजन विधि
इस दिन महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके नए वस्त्र और सोलह श्रृंगार करना चाहिए. शाम के समय वट सावित्री की पूजा के लिए व्रती सुहागनों को बरगद के पेड के नीचे सच्चे मन से सावित्री देवी की पूजा करनी चाहिए. पूजा के लिए महिलाओं को एक टोकरी में पूजन की सारी सामग्री रख कर पेड़ के नीचे जाना होता है और पेड़की जड़ो में जल चढ़ाना होता है.
इसके बाद वृक्ष को प्रसाद का भोग लगाकर उसे धूप-दीपक दिखाना चाहिए. इस दौरान हाथ पंखे से वट वृक्ष की हवा कर मां सावित्री से आशीर्वाद प्राप्ति के लिए उनकी आराधना करें. इस प्रक्रिया के पश्चात सुहागनों को अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए वट वृक्ष के चारों ओर कच्चे धागे या मोली को 7 बार बांधना चाहिए. अंत में वट वृक्ष के नीचे ही सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें. इसके बाद घर आकर उसी पंखें से अपने पति को हवा करें और उनका आशीर्वाद लें. फिर प्रसाद में चढ़े फल आदि को ग्रहण कर शाम में मीठा भोजन से अपना व्रत खोले.
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत महत्व
वट सावित्री पूर्णिमा और अमावस्या व्रत में विशेष अंतर नहीं है। इस दिन शुभ मुहूर्त में सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और परिवार के कल्याण के लिए वट वृक्ष की उपासना करती हैं और वृक्ष के चारों ओर रक्षा सूत्र बांधती हैं। मान्यता है कि ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि वट वृक्ष में भगवान विष्णु वास करते हैं और उनकी उपासना करने से जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं।
वट पूर्णिमा व्रत 2023 पूजा के शुभ मुहूर्त
3 जून को वट पूर्णिमा व्रत की पूजा के लिए सुबह और दोपहर में मुहूर्त हैं. जो महिलाएं सुबह में वट पूर्णिमा व्रत की पूजा करना चाहती हैं, वे सुबह 07:07 बजे से सुबह 08:51 बजे तक कर सकती हैं. यह शुभ-उत्तम मुहूर्त है.