झारखंड का हरीहर धाम: शिव अराधना और सुखद दाम्पत्य जीवन का अद्भुत संगम
हिंदू धर्म ग्रंथों में सृष्टि के निर्माता आदिदेव महादेव को सर्वशक्तिमान माना गया है। शिव ही संपूर्ण जगत के अर्जक, पालक और संहारक हैं। इसलिए पूरे भारत में द्वादश ज्योतिर्लिंगों के साथ-साथ गांव-गांव में शिवालयों की प्राचीन परंपरा रही है। हर शिव मंदिर की अपनी खासियत होती है, जिस पर भक्तों की गहरी आस्था और विश्वास जुड़ा होता है।
झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित हरिहर धाम भक्ति और पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह स्थल खासकर पुत्र-पुत्रियों के सुखद और समृद्ध दाम्पत्य जीवन की कामना लेकर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रसिद्ध है। गिरिडीह जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर बगोदर अंचल में यह मंदिर स्थित है, जिसका शिवलिंग आकृति वाला गुंबज लगभग 65 फीट ऊँचा है। मंदिर के गर्भगृह में शिव परिवार सहित कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। स्थानीय जमुनिया नदी के किनारे 25 एकड़ क्षेत्र में फैले इस मंदिर की भव्यता देखी जा सकती है। इसका निर्माण कार्य लगभग 30 वर्षों में पूरा हुआ, जिसे कोलकाता के हार्डकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अमरनाथ मुखोपाध्याय ने कराया था।
पूर्वी भारत के इस क्षेत्र में हरिहर धाम शादी समारोहों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। झारखंड, बिहार, बंगाल, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों से लोग अपने बच्चों की शादी के लिए हरिहर धाम आते हैं। मान्यता है कि जिन दंपतियों की विवाह में कोई बाधा आती है, वे इस मंदिर में पूजा-अर्चना कर बाधाओं से मुक्त हो जाते हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बसे इस धाम के आसपास आधुनिक सुविधाओं से लैस होटल और रेस्ट हाउस भी उपलब्ध हैं। खासकर श्रावण मास और महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो इस धाम की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाती है।