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सुरक्षित ओलंपिक के लिए मिलेगा भारत का साथ

Date : 23-May-2024

 खेल एक लोकप्रिय, बहुसांस्कृतिक उत्सव है जिसे दुनिया भर में बहुत से लोग अनुभव करते हैं। नए संदर्भों में देखा जाए तो यह खेल फ्रांस के लिए एक नए रोमांच का प्रतिनिधित्व करते हैं। क्योंकि फ्रांस ओलंपिक और पैरालंपिक खेल के आयोजन के लिए तैयार है। फ्रांस के नागरिकों के नजरिए से देखें तो वह कह रहे हैं कि दुनिया के सबसे बड़े आयोजन की मेजबानी से हमारा देश बदल जाएगा और यह बदलाव फ्रांस के अच्छे भविष्य के लिए अपरिहार्य है। पेरिस 2024 से हम चाहते हैं कि ‘खेल मूल्य’ लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनें और यह साबित करें कि हम स्थिरता हासिल करने के साथ-साथ उत्कृष्टता भी हासिल कर सकते हैं।


निश्चित ही पेरिस 2024 को लेकर न सिर्फ फ्रांस वासियों को उत्साहित देखा जा रहा है बल्कि पूरे यूरोप में खुशी का माहौल है। यहां जिस तरह की अभी तक तैयारियां की गई हैं, उस हिसाब से कहें तो यह ओलंपिक अब तक का सबसे बड़ा आयोजन होगा। ओलंपिक खेल 26 जुलाई से 11 अगस्त 2024 तक होंगे, किंतु इतनी बड़ी जिम्मेदारी के साथ वर्तमान में फ्रांस के सामने जो संकट खड़ा है, वह है आतंकी गतिविधियों से निपटने का। क्योंकि संपूर्ण यूरोप में फ्रांस आज इस्लामिक कट्टरवाद से बेहद त्रस्त है। ऐसे में फ्रांस की सरकार को अपने उन मित्रों का साथ चाहिए जो खेल के इस महाकुंभ में उसकी मदद कर पाएं। इसलिए फ्रांस ने आतंक से निपटने के लिए भारत को याद किया है।

विश्व जानता है कि भारत ने आतंकवाद का सामना बड़े स्तर पर किया है और इससे निपटने के लिए सुरक्षा में विशेषज्ञता हासिल कर ली है। अब फ्रांस चाहता है कि आतंकवाद से लड़ने की भारत की विशेष रणनीति ‘‘पेरिस ओलंपिक 2024’’ की सुरक्षा के लिए काम आए। वस्तुत: फ्रांस ने जिस मानव धर्म, समानता और बन्धुत्व के भाव से अपने यहां शरणार्थियों को शरण दी, आज यही शरणार्थी फ्रांस में मजहब (इस्लाम) के नाम पर अपनी मनमानी करने पर उतारु दिखाई देते हैं। बाहर से आए मुस्लिम, स्थानीय मुस्लिमों के साथ मिलकर सामुदायिक भावना गढ़ रहे हैं।

हमले और हिंसक घटनाओं की संख्या बढ़ने के बाद फ्रांस की सरकार चेती है, लेकिन उसके लिए कुछ भी करना आसान नहीं है। फ्रांस में पेरिस के आसपास के शहरों, ल्योंस और टूलूज जैसे अन्य बड़े शहरों में दंगे हुए। 2014 के बाद बढ़े हमलों के कारण आपरेशन सेंटिनेल, आपरेशन विजिलेंट गार्डियन और ब्रसेल्स लाकडाउन चलाए गए, फिर भी फ्रांस में इस्लामिक अतिवादियों का आतंक कम नहीं हुआ है। आए दिन वहां किसी को चाकू मारा जा रहा है तो किसी पर गोली बरसाई जा रही हैं। फ्रांस की मूल महिलाएं लगातार यौन हिंसा की शिकार बनाई जा रही हैं।

अभी पिछले साल ही फ्रांस में अल्जीरियाई मूल के 17 वर्षीय किशोर नाहेल एम की पेरिस के पास पुलिस के हाथों मौत के बाद पूरा देश जल उठा था। कई शहरों में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो गए। कई दिनों तक चला ये हिंसक प्रदर्शन फ्रांस से होते हुए संपूर्ण यूरोप तक फैल गया था, जिसके परिणामस्वरूप कई और देशों में इस्लामिक आतंकवाद देखने को मिला। दंगाइयों ने फ्रांस के पेरिस, मार्सिले और ल्योन सहित अन्य शहरों में जमकर उत्पात मचाया। लूटपाट के अनेक वीडियो सामने आए।

इस बीच, एक मौलवी शेख अबू तकी अल-दीन अलदारी का वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें वह कह रहा था, ‘‘जिहाद के जरिए फ्रांस एक इस्लामिक देश बन जाएगा और पूरी दुनिया इस्लामी शासन के अधीन होगी। फ्रांसीसियो! इस्लाम में कन्वर्ट हो जाओ, नहीं तो जजिया का भुगतान करने के लिए मजबूर किए जाओगे।’’ मेमरी टीवी द्वारा अनुवादित वीडियो में कहा गया है, ‘‘2050 में फ्रांस में मुसलमानों की संख्या फ्रांसीसियों से अधिक हो जाएगी लेकिन हम फ्रांस को इस्लामिक देश बनाने के लिए इन आंकड़ों पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। हम जिस पर भरोसा कर रहे हैं, वह यह है कि मुसलमानों के पास एक ऐसा देश होना चाहिए, जो अल्लाह की खातिर जिहाद के माध्यम से इस्लाम को अपना मार्गदर्शन, अपना प्रकाश, अपना संदेश और अपनी दया (पश्चिम के) लोगों तक पहुंचाए।’’

किशोर की हत्या पर पांच दिनों की हिंसा में ही 935 इमारतें क्षतिग्रस्त हुई, 5,354 वाहन जलाए गए, आगजनी की 6,880 घटनाएं हुईं। 41 पुलिस थानों पर हमला किया गया, 79 पुलिसकर्मी घायल हुए। वस्तुत: फ्रांस में मुस्लिम प्रवासियों की लगातार आमद देखी गई है, जो अब लगभग 60 लाख है और कुल फ्रांसीसी आबादी का लगभग 8-9 प्रतिशत है। अनेक अनुमानों से पता चलता है कि फ़्रांस की मुस्लिम आबादी में वार्षिक 17 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है।

इस देश में इस्लामिक आतंक किस तरह से हावी है, वह इससे भी पता चलता है कि पेरिस के करीब रामबौलेट में हमलावर ने पुलिस थाने में घुसकर एक महिला पुलिस अधिकारी स्टेफनी की गर्दन पर धारदार हथियार से वार किए, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। इस दौरान हमलावर अल्ला-हो-अकबर का नारा लगा रहा था। यहां हुए पेरिस हमले में 130 लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाता है। फ्रांस के नाइस शहर में ट्रक से 86 लोगों को मार दिया गया।

अभिव्यक्ति की आजादी के तहत कक्षा में पैगंबर मुहम्मद का कार्टून दिखाने पर पेरिस में इतिहास के शिक्षक सैमुअल पैटी का सिर अब्दुल्लाह एंजोरोव ने काट दिया। पैगंबर मोहम्मद का कार्टून छापने पर शार्ली एब्दो के पेरिस कार्यालयों पर हुए हमलों में 17 लोग मारे गए। एक दूसरी घटना में पत्रिका के मुख्यालय के बाहर दो लोगों को चाकू मार दिया गया। एक आतंकी ने पेरिस के चैंप्स-एलिसीज पर एक पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी। पेरिस के ओर्ली हवाईअड्डे पर सैनिकों पर हमला किया गया, फिर अल्लाह के नाम कुर्बान होने की बात कही गई। दक्षिणी फ्रांस के तालोसे शहर में अल-कायदा के आतंकी ने तीन यहूदी बच्चों, एक रबाई और तीन पैराट्रूपर्स की हत्या कर दी। इस प्रकार की अनेक आतंकी घटनाएं फ्रांस में कभी भी होती हुई दिखती हैं।

फिलहाल, फ्रांस सरकार अपने स्तर पर इस्लामिक आतंकवाद को रोकने के लिए जो कर सकती है, वह कर रही है, लेकिन फिर भी यह डर तो बना ही रहता है, कहीं से कोई अप्रत्याशित सूचना न आ जाए। अब जब ओलंपिक पेरिस में हो रहा है तब फ्रांस सरकार की जिम्मेदारी दुनिया के सभी देशों के प्रति अत्यधिक बढ़ गई है, इसलिए आज उसे अपने मित्र भारत की याद आई है।

यह अच्छा ही है कि भारत ने भी मित्र धर्म निभाने के लिए हर संभव मदद करने का फ्रांस को भरोसा दिया है। भारत, आतंकवाद रोधी और आंतरिक सुरक्षा विशेषज्ञों का एक बड़ा दल फ्रांस भेज रहा है, जोकि पेरिस ओलंपिक के दौरान हर चुनौती से निपटने में सक्षम है। ऐसे में यही कहना होगा कि भारत द्वारा फ्रांस को दिया जा रहा यह सुरक्षा सहयोग दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों के साथ आतंकवाद और अन्य सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने की प्रतिबद्धता दुनिया के सामने दर्शा रहा है।

लेखक - डॉ. मयंक चतुर्वेदी

 

 
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