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कमजोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण - मदन मोहन मालवीय

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छत्तीसगढ़ विशेष लेख : महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है : विष्णु देव सरकार

Date : 30-Sep-2024

 सपने हों जब हकीकत में बदल,

सीखें वो हर नया हुनर,

उठें कदम, बढ़ाएं हौंसला,

आत्मनिर्भर बनें, हर एक नज़र।

भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना लखपति दीदी, जिसका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उन्हें स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है। यह योजना विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के लिए बनाई गई है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकें।

बीते दिनों अपने लखपति दीदी लाभार्थी मनकुंवरी बाई का नाम खूब सुना होगा |आपको बता दे छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय के गृह जिले जशपुर की लखपति दीदी लाभार्थी मनकुंवरी बाई से बीते 2 अक्टूबर को गांधी जंयती के उपलक्ष पर आयोजित पीएम जनमन मेगा इवेंट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मनकुंवरी बाई ने बात की.

जशपुर जिले में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा के परिवारों को पीएम जनमन योजना का लाभ दिया जा रहा है. इसी कड़ी में जिले के बगीचा विकासखण्ड के ग्राम कुटमा निवासी मनकुंवारी कृषि कार्य के साथ ही अन्य गतिविधियों में जुड़कर अतिरिक्त आय अर्जित कर रही हैं. मनकुंवारी कृषि कार्य के साथ-साथ बत्तख पालन, तेंदूपत्ता, महुआ, चिरौंजी एवं साल बीज संग्रहण कर बिक्री का कार्य करती हैं|

वैसे लखपति दीदी एक स्वयं सहायता समूह की सदस्य होती है, जिसकी वार्षिक घरेलू आय एक लाख रुपये (1,00,000 रुपये) या उससे अधिक होती है। इस आय की गणना कम से कम चार कृषि मौसमों और/या व्यवसाय चक्रों के लिए की जाती है, जिसमें औसत मासिक आय दस हजार रुपये (10,000 रुपये) से अधिक होती है, ताकि यह टिकाऊ हो सके।

वे समुदाय के लिए प्रेरणास्रोत हैं, न केवल अपनी आय के लिए, बल्कि स्थायी आजीविका पद्धतियों (कृषि या गैर-कृषि या सेवा) को अपनाने, संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन करने, तथा एक सभ्य जीवन स्तर प्राप्त करने के माध्यम से अपनी परिवर्तन यात्रा के लिए भी।

एसएचजी समूहों ने सामूहिक कार्रवाई और आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया है, साथ ही महत्वपूर्ण वित्तीय साक्षरता, कौशल विकास और आजीविका सहायता के लिए माध्यम के रूप में भी काम किया है। उल्लेखनीय रूप से, फोकस केवल सामाजिक और वित्तीय समावेशन से आगे बढ़कर अब एसएचजी सदस्यों को उद्यमशील उपक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाने पर केंद्रित है। उनके अंतर्निहित कौशल और क्षमता उन्हें उच्च आय वर्ग की ओर बढ़ने के लिए अच्छी स्थिति में रखती है। सरकार अब इस बदलाव और लखपति दीदी जैसी पहलों का सक्रिय रूप से समर्थन कर रही है।

छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर जिले में महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है | इसी कड़ी में जशपुर कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के मार्गदर्शन में स्थानीय महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो इसके लिए स्व सहायता समूह गठित कर विविध गतिविधियों से जोड़कर नए नए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। और जिले के महिला आर्थिक रूप से मजबूत बनकर लखपति दीदी के रूप में जाने जा रहे है।

यह कहानी एक ऐसी महिला की है जो करोड़पति बनने की राह पर अग्रसर है जिसने एक मिसाल कायम किया है और न जाने कितनों को प्रेरित कर रही है। अनिता साहू जशपुर जिले के काँसाबेल विकासखण्ड की नरियाड़ाँढ ग्राम पंचायत प्रगति महिला ग्राम संगठन में नारी शक्ति स्व सहायता समूह की सदस्य है और कल्पना संकुल संगठन चेतना के अंतर्गत एफएलसीआरपी के पद पर बिहान कार्यक्रम से जुड़ी हुई है। आज उद्यमिता विकास के क्षेत्र में इनका नाम सबसे आगे है, अपनी सोच की बदौलत इस मुकाम में पहुंची है। 2016 के सी आरपी राउंड मे समूह से जुड़ी और 2017 मे एफएलसीआरपी बनी। शिक्षक पति अपने अध्यापन कार्य मे वयस्त रहते थे अनीता ने सोचा क्यों नहीं छोटा-मोटा कार्य कर अपनी आय में वृद्धि की जाए, उसने यू ट्यूब देखा और फ्लाई एश ब्रिक्स बनाने का कार्य शुरू करने की सोची । 2017 में बैंक लिंगकिज के माध्यम से 1 लाख रुपये का लोन लिया एवं सीआइएफ से 60 हजार की राशि लेकर करीब डेढ़ लाख में फ्लाई एश ब्रिक्स बनाने का छोटा मशीन खरीदा और बिजनस शुरू किया। आस पास से मांग आने लगी और धीरे धीरे पहचान बनने लगी और लाभ होने लगा। समूह की अन्य 3 दीदियों को कार्य से जोड़ मांग की अधिकता एवं लाभ कमाने लगी और व्यापार मे इनकी सोंच बढ़ने लगी की और ज्यादा उत्पादन किया जाने लगा |

सकारात्मक सोच से अनिता की दशा दिशा बदल गई उसने 15 लाख का लोन लिया। 13 लाख का हीपकों फ्लाई एश ब्रिकक्स मशीन खरीदा 1.5 लाख मे 20 केवी का ट्रांसफार्मर लगाया और उत्पादन शुरू कर दिया। आज के दिनों मे 8 समूह सदस्य 3 पुरुष काम कर रहे हैं हैं और प्रतिदिन 10000 ईट का उत्पादन कर प्रतिदिन खर्च काट कर 10000 रु प्रतिदिन शुद्ध लाभ कमा रह है। महीने में 22-25 दिनों के कार्य से 2.2 लाख से लेकर 2.5 लाख की मासिक आमदनी हो रही है। शुद्ध करीब 10000 का मासिक विद्युत खर्च भी वहन कर रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की टीम उनसे हिसाब किताब के बारे में जानकारी लेने गई थी।

शासकीय मांग के अनुसार प्रधानमंत्री आवास निर्माण में 8 इंच एवं 9 इंच ईट की आपूर्ति प्रतिदिन की जा रही है। कच्चा माल (एश) खरसिया रायगढ़ से आता है, हाइवा मे करीब 30 टन, 650 रु प्रति टन के हिसाब से खरीदा जाता है, जो मात्र ढुलाई खर्च होता है एश मुफ़्त मे मिलता है । इसके अतिरिक्त रेत एवं सिमेन्ट भी लगता है और केमिकल भी इस्तेमाल होता है। 1 ईट तैयार करने मे 3.20रु लगता है जो 4 रु से 4.25 रु तक बिकता है और भी तकनीकी पहलू हैं। परंतु यह ईट लोकप्रिय है, इसकी मांग पूर्ति पूरी नहीं हो पा रही है इसलिए प्रतिदिन उत्पादन बढ़ाने की सोंच अनीता साहू ने अपने जहन मे रखा है ।   

अनीता साहू की बातों मे मेहनत और आत्मविश्वास की मुस्कान झलक रही थी, बहुत ही शालीनता से अपनी बात मनोरा से भ्रमण करने वाली समूह की दीदियों को बता रही थी । मनोरा की दीदियां भी उत्साहित है और फ्लाई एश ब्रिकक्स का व्यापार करने हेतु उद्योग विभाग से मिलने जा रही है, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जिला दल उनका सहयोग कर रहें हैं। अनीता साहू ने जिस तरह की मिसाल प्रस्तुत किया है उस से सभी बहुत प्रेरित है।

 

 
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