प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के शिक्षकों से स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और 'वोकल फॉर लोकल' अभियानों का नेतृत्व करने का आग्रह किया है। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेताओं के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा कि आमतौर पर शिक्षक छात्रों को होमवर्क देते हैं, लेकिन इस बार वह शिक्षकों को एक "होमवर्क" देना चाहते हैं — देश में मेड इन इंडिया और स्थानीय उत्पादों के प्रति गर्व को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी।
उन्होंने स्कूलों से आग्रह किया कि वे ‘स्वदेशी दिवस’ या ‘स्वदेशी सप्ताह’ मनाएं, जिसमें छात्र अपने घरों से स्थानीय उत्पाद लेकर आएं और उनसे जुड़ी कहानियाँ साझा करें। इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल छात्रों में जागरूकता बढ़ाएँगी, बल्कि पूरे समाज में स्थानीय उत्पादों के उपयोग का माहौल भी तैयार करेंगी।
प्रधानमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि छात्र स्वदेशी उत्पादों के समर्थन में तख्तियाँ लेकर गाँवों में मार्च कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कला और शिल्प कक्षाओं, स्कूल समारोहों और दैनिक जीवन में स्वदेशी सामग्री के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि भारतीय उत्पादों के प्रति गर्व की भावना स्थायी रूप से विकसित हो सके।
उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे छात्रों को स्वदेशी वस्तुओं के मूल, निर्माता और उनके राष्ट्रीय महत्व के बारे में जानकारी दें। प्रधानमंत्री ने कहा, “हर घर और हर दुकान के बाहर ‘हर घर स्वदेशी’ जैसे बोर्ड लगाकर भी जागरूकता फैलाई जा सकती है।”
महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए स्वदेशी आंदोलन की विरासत को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह इस पीढ़ी का कर्तव्य है कि वह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करे। उन्होंने शिक्षकों से अनुरोध किया कि वे छात्रों को आत्मनिर्भरता का महत्व सरल भाषा और स्थानीय बोलियों में समझाएं।
उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत हर साल 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि खाद्य तेल के आयात पर खर्च करता है — यह दर्शाता है कि देश को अब स्थानीय उत्पादन और उपभोग की दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ना होगा।
प्रधानमंत्री का यह संदेश केवल एक आर्थिक रणनीति नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना का आह्वान है — जिसका नेतृत्व देश के शिक्षकों और छात्रों को मिलकर करना है।