कोंडागांव , 19 नवंबर । कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) की कोंडागांव जिला परिषद ने बुधवार को जिला मुख्यालय में एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया। सीपीआई ने आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों के विरोध में राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम पांच सूत्रीय मांगों वाला एक ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा। यह आंदोलन सीपीआई के राष्ट्रीय आह्वान पर देशभर के जिला मुख्यालयों में एक साथ आयोजित किया गया था। इसी क्रम में बस्तर संभाग के कोंडागांव में भी बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने सामाजिक असमानता और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। सीपीआई ने चेतावनी दी है कि यदि शासन-प्रशासन जल्द ही इन मांगों पर विचार नहीं करता, तो आने वाले दिनों में जिलेभर में व्यापक जन आंदोलन चलाया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
सीपीआई ने आरोप लगाया कि कोंडागांव सहित बस्तर के कई गांवों में आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक और महिलाएं लगातार शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और संपत्ति हड़पने जैसे अपराधों का शिकार हो रही हैं। सीपीआई नेताओं का कहना है कि वे इन मामलों में प्रशासनिक अधिकारियों से न्याय और सुरक्षा की मांग करते हैं। लेकिन कई बार जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई से बचते हुए दोषियों का साथ देते नजर आते हैं, जिससे अपराधियों का मनोबल बढ़ता है और पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता। सीपीआई की ओर से रखी गई प्रमुख 5 मांगें आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों व अपराधों पर तत्काल रोक लगाई जाए। सभी दोषियों पर कड़ी और प्रभावी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। अपराध की जानकारी मिलने के बाद भी कार्रवाई नहीं करने वाले जिम्मेदार सरकारी/लोक सेवकों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई हो। कमजोर वर्गों को सुरक्षा, न्याय और सामाजिक सम्मान की गारंटी दी जाए। संविधान में निहित समानता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के मूल्यों की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
