विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर तालुक में 15 सितंबर, 1861 को एक तेलुगु परिवार में हुआ था। उन्हीं की याद में भारत में हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे (अभियंता दिवस) मनाया जाता है। वह 100 वर्षों से अधिक जीवित रहे थे और अंत तक सक्रिय जीवन ही व्यतीत किया था। उनसे जुड़ा एक किस्सा काफी मशहूर है कि एक बार एक व्यक्ति ने उनसे पूछा, 'आपके चिर यौवन (दीर्घायु) का रहस्य क्या है?' तब डॉ. विश्वेश्वरैया ने उत्तर दिया, 'जब बुढ़ापा मेरा दरवाज़ा खटखटाता है तो मैं भीतर से जवाब देता हूं कि विश्वेश्वरैया घर पर नहीं है और वह निराश होकर लौट जाता है। बुढ़ापे से मेरी मुलाकात ही नहीं हो पाती तो वह मुझ पर हावी कैसे हो सकता है?'
अंग्रेजों को लेकर भी उनसे जुड़ा एक किस्सा काफी प्रसिद्ध है। दरअसल, यह उस समय की बात है जब भारत में अंग्रेजों का शासन था। खचाखच भरी एक रेलगाड़ी चली जा रही थी। यात्रियों में अधिकतर अंग्रेज थे। एक डिब्बे में एक भारतीय मुसाफिर गंभीर मुद्रा में बैठा था। सांवले रंग और मंझले कद का वह यात्री साधारण वेशभूषा में था इसलिए वहां बैठे अंग्रेज उसे मूर्ख और अनपढ़ समझ रहे थे और उसका मजाक उड़ा रहे थे। पर वह व्यक्ति किसी की बात पर ध्यान नहीं दे रहा था।
अचानक उस व्यक्ति ने उठकर ट्रेन की जंजीर खींच दी। तेज रफ्तार में दौड़ती ट्रेन तत्काल रुक गई। सभी यात्री उसे भला-बुरा कहने लगे। थोड़ी देर में गार्ड भी आ गया और उसने पूछा, 'जंजीर किसने खींची है?' उस व्यक्ति ने बेझिझक उत्तर दिया, 'मैंने खींची है।' कारण पूछने पर उसने बताया, 'मेरा अनुमान है कि यहां से लगभग एक फर्लांग (220 गज) की दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हुई है।'
मोक्षागुंडम विश्वेश्वरैया के सिद्धांत इस प्रकार है -
1.लगन से काम करो | मेहनत से जी न चुराओं | आराम कड़ी मेहनत के उपरांत ही अच्छा लगता है |
2.निर्धारित कार्यों का समय नियत करो | समय पर काम करने की आदत डालने से काम अधिक भी होता है और अच्छा भी | इसलिए सबसे जरूरी है काम को निश्चित समय पर पूरा करना | यदि ऐसा नहीं करेंगे तो काम की अवधि बढ़ती रहेगी और अंतत: काम पूरा नहीं होगा |
3.यह सोचते रहो कि आज की अपेक्षा कल किस तरह अधिक अच्छा काम हो सकता है | जो सिख चुके हो, उससे अधिक सीखने का प्रयत्न करो | सोचो, योजना बनाओ, गुण-दोषों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने के उपरांत काम में हाथ डालो|
4.अहंकारी न बनो | अपना स्वभाव नम्र बनाओ तथा साथियों के साथ मिलजुलकर काम करने की आदत डालो |