पौधों की भावनाओं को समझने वाले वैज्ञानिक: जगदीश चंद्र बोस | The Voice TV

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पौधों की भावनाओं को समझने वाले वैज्ञानिक: जगदीश चंद्र बोस

Date : 30-Nov-2024

भारत के प्रसिद्ध भौतिकविद् तथा पादपक्रिया वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस एक भारतीय प्लांट फिजियोलॉजिस्ट और भौतिक विज्ञानी भी थे, जिन्होंने बाहरी उत्तेजनाओं के लिए जीवित जीवों द्वारा सूक्ष्म प्रतिक्रियाओं का पता लगाने के लिए अत्यधिक संवेदनशील उपकरणों का आविष्कार किया था |

इन्होंने क्रेस्कोग्राफ का आविष्कार किया था जो पौधों की वृद्धि को मापने के लिये एक उपकरण है। उन्होंने पहली बार यह प्रदर्शित किया कि पौधों में भावनाएँ होती हैं।

जगदीश चंद्र बोस ने कई महान् ग्रंथ भी लिखे हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित इन विषयों पर आधारित हैं, जैसे- सजीव तथा निर्जीव की अभिक्रियाएँ (1902), वनस्पतियों की अभिक्रिया (1906), पौधों की प्रेरक यांत्रिकी (1926) इत्यादि।

जन्म-जगदीश चंद्र बोस का जन्म 30 नवम्बर 1858 में ढाका जिले के फरीदपुर के माइमसिंह गांव में हुआ था, जो कि अब बंग्लादेश का हिस्सा है। इनकी माता का नाम बामा सुंदरी बोस और पिता भगवान चंद्र थे।

शिक्षा- ग्यारह वर्ष की आयु तक जगदीश चंद्र बोस जी ने गांव के ही एक विद्यालय में शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद  कलकत्ता गये और सेंट जेवियर स्कूल में प्रवेश लिया। जगदीश चंद्र बोस की जीव विज्ञान में बहुत रुचि थी भौतिकशास्त्र में बी. . की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात 22 वर्षीय बोस चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई करने के लिए लंदन चले गए। उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से  BSc, जो वर्ष 1883 में लंदन विश्वविद्यालय से संबद्ध था और वर्ष 1884 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से B.A (प्राकृतिक विज्ञान ट्राइपोस) किया था।

कार्य क्षेत्र- कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त करने के बाद वह भौतिक विषय के सहायक प्राध्यापक के रूप में 'प्रेसिडेंसी कॉलेज' में अध्यापन करने लगे। यहाँ प्रोफेसर के रूप में उन्होंने 1885 से 1915  तक कार्य किया | बोस एक अच्छे शीक्षक भी थे, जो कक्षा में पढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक प्रदर्शनों का उपयोग करते थे। बोस के ही कुछ छात्र जैसे सतेन्द्र नाथ बोस आगे चलकर प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री बने।

आविष्कार एवं खोज   

·      क्रेस्कोग्राफ नामक एक उपकरण का आविष्कार किया जो पौधों में बहुत छोटी गति को माप सकता था और इसका उपयोग विभिन्न उत्तेजनाओं के संपर्क में आने से होने वाली पौधों की गति को मापने के लिए किया जाता था।

·      जगदीश चंद्र बोस ने सूक्ष्म तरंगों (माइक्रोवेव) के क्षेत्र में वैज्ञानिक कार्य तथा अपवर्तन, विवर्तन एवं ध्रुवीकरण के क्षेत्र में अपने प्रयोग भी प्रारंभ कर दिये थे।

·      लघु तरंगदैर्ध्य, रेडियो तरंगों तथा श्वेत एवं पराबैगनी प्रकाश दोनों के रिसीवर में गेलेना क्रिस्टल का प्रयोग जगदीश चंद्र बोस के द्वारा ही विकसित किया गया था।

·      1895 में कलकत्ता में, उन्होंने दुनिया में पहली बार कहीं भी विद्युत चुम्बकीय तरंगों के वायरलेस ट्रांसमिशन का सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन किया, तरंगों का उपयोग करके दूर की घंटी बजाई और इस तरह कुछ बारूद को विस्फोटित किया।

·      अभी के समय में प्रचलित बहुत सारे माइक्रोवेव उपकरण जैसे वेव गाईड, ध्रुवक, परावैद्युत लैंस, विद्युतचुम्बकीय विकिरण के लिये अर्धचालक संसूचक, इन सभी उपकरणों का उन्नींसवी सदी के अंतिम दशक में जगदीश चंद्र बोस ने अविष्कार किया और उपयोग किया था। 

पुस्तकें

·      रिस्पॉन्स इन लिविंग एंड नॉन-लिविंग (1902)

·      नर्वस मैकेनिज्म ऑफ प्लांट्स (1926) शामिल हैं। 

पुरस्कार सम्मान

·      वे भारत के पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने एक अमेरिकन पेटेंट प्राप्त किया। 

·      1917 में जगदीश चंद्र बोस को "नाइट" (Knight) की उपाधि प्रदान की गई तथा शीघ्र ही भौतिक तथा जीव विज्ञान के लिए रॉयल सोसायटी लंदन के फैलो चुन लिए गए।

·      बोस ने वायरलेस संचार की खोज की और उन्हें इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग द्वारा रेडियो साइंस के जनक के रूप में नामित किया गया।

·      बोस को बंगाली साइंस फिक्शन का जनक माना जाता है। उनके सम्मान में चंद्रमा पर एक क्रेटर का नाम रखा गया है।

·      बोस ने अपना पूरा शोधकार्य किसी अच्छे (महगें) उपकरण और प्रयोगशाला से नहीं किया था, इसलिये जगदीश चंद्र बोस एक अच्छी प्रयोगशाला बनाने की सोच रहे थे।

·      'बोस इंस्टीट्यूट' (बोस विज्ञान मंदिर) इसी विचार से प्रेरित है जो विज्ञान में शोध कार्य के लिए राष्ट्र का एक प्रसिद्ध केन्द्र है।

निधन

जगदीश चंद्र बोस जी का निधन 23 नवंबर 1937 को भारत के गिरिडीह शहर में दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। मृत्यु के समय उनकी आयु 88 वर्ष थी।

 

 

 
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