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हिन्‍दू धर्म एक बीमारी है तब फिर इस्‍लाम के लिए क्‍या कहना होगा ?

Date : 09-Dec-2024

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती का बयान कि हिंदू धर्म एक बीमारी है, जिसने भारत में लाखों लोगों को प्रभावित किया है। सीधे इस्‍लाम से तुलना करने के लिए विवश कर रहा है। क्‍योंकि यदि किसी एक के गुनाह को आड़े लेकर पूरे हिन्‍दू धर्म को खासकर भगवान राम का नाम लेकर आज जो वह कह रही हैं कि , ''भगवान राम को शर्म से अपना सिर झुकाना चाहिए...’’ क्‍या कभी इन शब्‍दों का इस्‍तेमाल वे अपने आराध्‍य अल्‍लाह या मोहम्‍मद साहब के लिए कर सकती हैं, जिनकी आड़ में में पूरी दुनिया में जिहाद का नाम देकर वर्षों से आतंकवाद को बढ़ावा ही नहीं दिया गया बल्‍कि पता नहीं कितने लाख लोगों को अब तक मार दिया गया है। वास्‍तव में हिन्‍दू धर्म की खूबी यह है कि इल्तिजा मुफ्ती भगवान श्रीराम के नाम पर इतना सभी कुछ बोलती हैं और उसके बाद भी कोई हिन्‍दू उन्‍हें किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाता है। यदि हिम्‍मत है तो जिहाद पर, इस्‍लाम के आतंक पर भी कुछ बोल कर दिखाएं, तुरंत पता चल जाएगा कि जिस कौम से वे आती हैं वह उनका क्‍या हाल करेगी? 

यहां बेशर्मी की हद यह है कि महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती यह कह रही है कि मैं डंके की चोट पर कहती हूं कि ‘‘हिन्‍दुत्‍व एक बीमारी है और इस बीमारी का इलाज हमें करना पड़ेगा’’ कोई उनसे पूछे कि हिन्‍दुत्‍व को वह जानती कितना है? जो वे इस तरह की भाषा का इस्‍तेमाल कर सकती है! कोई उन्‍हें समझाए कि हिन्दुत्व शब्द सदियों पुराना है, जितनी कि मानवजाति। आज कोई दावा नहीं कर सकता है कि यह हिन्दू धर्म कितने वर्ष पूर्व आरंभ हुआ था। हिन्दुत्व पर जो लोग आज प्रश्न खड़े कर रहे हैं , उन्हें इससे पहले हिन्दू शब्द को परिभाषिक रूप से समझना चाहिए। हिन्दू शब्द पुराण साहित्य में कई रूपों में मिलता है। इनमें लिखा गया- 
अर्थात, हिमालय से प्रारम्भ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है। संस्कृत ग्रंथों में आया है। "हीनं च दूष्यत्येव हिन्दुरित्युच्चते प्रिये।'' जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं। इससे मिलता-जुलता लगभग यही श्लोक " कल्पद्रुम " में भी दोहराया गया है- "हीनं दुष्यति इति हिन्दूः।'' यानी जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं। "पारिजात हरण" में हिन्दू शब्द का अर्थ बताया गया –
वो जो ओमकार को ईश्वरीय धुन माने, कर्मों पर विश्वास करे, गौ-पालन करे तथा बुराइयों को दूर रखे, वह हिन्दू है। कुलमिलाकर यही कि बुराइयों को दूर करने के लिए सतत प्रयासरत रहने वाले, सनातन धर्म के पोषक एवं पालन करने वाले हिन्दू हैं । इस हिन्दू शब्द की तरह ही हिन्दुत्‍व है । वस्तुत: हिन्दुन् मूल (प्रकृति) में एक ''सुप्'' प्रत्यय के योग से हिन्दू बनता है । और इसी हिन्दू मूल में एक ''तद्धित'' प्रत्यय के योग से बन जाता है हिन्दुत्व । हिन्दू और हिन्दुत्व, इन दोनों शब्दों के बीच वही सम्बन्ध है जो मधुर और मधुरत्व या मधुरता में है। सुन्दर और सुन्दरत्व या सुन्दरता में है। महत् या महान और महत्व या महत्ता में है। यहां समझने वाली बात यह है कि मधुरता और मधुरत्व दोनों ही अलग-अलग ''तद्धित'' प्रत्ययों के योग से प्राप्त होते हैं और समानार्थ हैं। इसी प्रकार अन्य शब्द हैं । 
 हिन्दुत्व का कुल अर्थ सनातन धर्म को माननेवाला, उसके अनुसार आचरण और जीवन जीनेवाले से है। इसलिए आज जो लोग हिन्दू और हिन्दुत्व  इन दो शब्दों को अलग कर राजनीति करने एवं भारत की सामान्य जनता को भ्रम में डालने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि इन दोनों शब्दों में कोई भेद नहीं है। यह दोनों ही शब्द एक ही अर्थ के पूरक हैं और वह है भारत का सनातन धर्म, जिसके कारण से ही भारत सदियों से अपनी विशिष्ट पहचान के साथ भारत बना हुआ है।
यहां इस प्रकरण में सच तो यह है कि महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती अपनी मां के नक्‍शेकदम पर चल रही हैं। इससे पहले उनकी मां ने भी इसी प्रकार से विवादास्‍पद बयान दिए थे। महबूबा मुफ्ती ने बांग्लादेश के हालातों की तुलना भारत से की थी।  जम्मू-कश्मीर में अक्टूबर में जब कश्मीर में आतंकी हमले हुए तो महबूबा ने शब्दों का खेल खेला और ‘आतंकी’ शब्द लिखने तक से परहेज करते हुए आतंकी हमले को उग्रवादी हमले में बदल डाला। महबूबा मुफ्ती लगातार धारा 370 कश्‍मीर से हटाए जाने का विरोध कर रही हैं।  घाटी के संवेदन क्षेत्रों सेAFSPA हटाने के साथ ही पाकिस्तान और हुर्रियत से बातचीत के लिए आए दिन केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास करती हैं। जैसे वे नकारात्‍मक राजनीति करती हैं, आज उनकी बेटी भी वही कर रही है। 
निश्‍चित ही इल्तिजा मुफ्ती द्वारा हिंदुत्व को “बीमारी” कहना एक बेहद आपत्‍ति‍जनक बयान है। इस वक्‍तव्‍य से यह स्पष्ट होता है कि महबूबा परिवार हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में नहीं बल्कि एक धार्मिक समुदाय के खिलाफ एक हमले के रूप में देखता है। यह बयान न केवल हिंदुओं की भावनाओं को आहत करता है बल्‍कि यह भी स्‍पष्‍ट कर देता है कि मुसलमानों में राजनीतिक नेतृत्‍व का एक बहुत बड़ा वर्ग है जोकि भारत में अल्‍पसंख्‍यकों के नाम पर बहुसंख्‍यक हिन्‍दुओं के अधिकांश टैक्‍स के पैसों से सुविधाएं तो लेते रहना चाहता है, लेकिन वह उनसे असल मायनों में नफरत करता है। आज कोई नहीं होगा जो मध्‍यप्रदेश के रतलाम में बच्‍चों के साथ घटी घटना को सही ठहराएगा, किंतु इसके बहाने पूरे हिन्‍दू समाज को और उनके आराध्‍य श्रीराम पर उंगली उठाई जाएगी, इसे भी कोई स्‍वीकार्य नहीं करेगा। 
इल्तिजा मुफ्ती का कहना है कि ‘‘हिंदुत्व ने सभी के विचारों में जहर भर दिया है। ये एक बीमारी है।  एक मुसलमान होने के नाते मैं यह समझ सकती हूं।’’  इल्तिजा मुफ्ती के द्वारा सोशल मीडिया में यह वक्‍तव्‍य लिखे जाने के बाद उन पर भी तमाम कमेंट किए जा रहे हैं, लोग उन्‍हें गिना रहे हैं कि उनकी मां जिसे उग्रवाद कहकर हल्‍के में लेने की कोशिश करती हैं, वह इस्‍लामिक जिहादी आतंकवाद न सिर्फ जम्‍मू-कश्‍मीर में बल्‍कि पूरी दुनिया में अब तक लाखों लोगों की जान ले चुका है । काई लिख रहा है कि कश्मीर में इस्लाम के नाम पर हजारों हिंदुओं की हत्या की गई और अभी भी कश्मीर और पूरी दुनिया में उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। आपके अल्‍लाह को अपना सिर कहां झुकाना चाहिए? तब काई यूजर श्रीराम पर प्रश्‍न खड़ा करने पर इल्तिजा मुफ्ती  से यह भी पूछ रहा है कि वो मोहम्मद सा. क्यों नहीं? जब आईएसआईएस शरिया और इस्लाम के नाम पर निर्दोष लोगों के सिर काटते हैं और अभी भी काटे जा रहे हैं? कोई आज यह भी कहता दिखता है कि अल्लाह, पैगंबर आतंकवाद और मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा ली गई निर्दोष जानों के कारण लाखों बार शर्म से अपना सिर झुकाने से थक गए होंगे। इसी तरह के कई अन्‍य कमेंट इल्तिजा मुफ्ती के लिए सोशल मीडिया पर आ रहे हैं।  काश, इल्तिजा इस बात को समझे कि यदि हिन्‍दू सहष्‍णु नहीं होता तो भारत ना कभी विभाजित होता और ना ही भारत में एक भी इस्‍लाम या इसाईयत को माननेवाला दिखाई देता ! हो सकता है वे भी भारत के किसी हिन्‍दू परिवार में ही जन्‍म लेतीं, वे यह सब बातें कर भी इसलिए रही हैं क्‍योंकि भारत बहुसंख्‍यक हिन्‍दुओं का देश है, जोकि स्‍वभाव से ही सर्वपंथ सद्भाव में विश्‍वास रखते एवं बहुसंख्‍यक समाज उसी के अनुरूप अपना आचरण करता है।
 
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