कितनी सच्चाई है जार्ज सोरोस से श्रीमती सोनियागाँधी और काँग्रेस के संबंधों की ..? Date : 17-Dec-2024 क्या भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के संकेत पर काँग्रेस हमलावर है ? एक लंबे अर्से से उद्योगपति अडानी को प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी से जोड़कर सरकार पर हमले कर रही काँग्रेस पर भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय शक्तियों से साठगांठ करने का खुलासा हुआ है । यह खुलासा किसी भारतीय ने नहीं अपितु एक फ्रांसिसी ऑनलाइन समाचारपत्र "मीडियापार्ट" ने किया । इस विवरण में दुनियाँ के कुछ देशों की सरकारों को अस्थिर करने केलिये फंडिंग करने वाले विवादस्पद उद्योगपति जार्ज सोरोस से श्रीमती सोनिया गाँधी की निकटता और काँग्रेस पर सोरोस के एजेण्डे के अनुसार काम करने के आरोप लगे हैं। काँग्रेस ने इन आरोपों को तो नकारा है लेकिन उन तथ्यों का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया जो इस विवरण में दिये गये हैं। राजनीति में आरोप प्रत्यारोप एक सामान्य बात है । सरकार को घेरने के लिये विपक्ष सदैव आरोप लगाता है । संसद के भीतर भी और संसद के बाहर भी । लेकिन पिछले कुछ वर्षों से काँग्रेस जो आरोप लगा रही है उसमें सरकार के कामकाज की समीक्षा और भारत के विकास के मुद्दे कम, उद्योगपति अडानी के बहाने प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमले अधिक होते हैं । लेकिन अब काँग्रेस अपने बुने जाल में उलझ रही है । काँग्रेस पर आरोप लगा है कि वह यह सब भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय उद्योगपति जार्ज सोरोस की योजना से कर रही है । इस फ्रेंच समाचारपत्र पत्र "मीडियापार्ट"के अनुसार दुनियाँ में सर्वाधिक विवादित और भारत विरोधी मानसिकता वाले उद्योगपति जार्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित पोर्टल "OCCRP" भारत विरोधी जो लेख प्रकाशित करता है उसके लिए उसे अमेरिकी प्रशासन और जॉर्ज सोरोस से पैसे मिलते हैं। फ्रेंच समाचारपत्र ने यह भी लिखा कि OCCRP के लेखों के आधार पर कांग्रेस प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्रमोदी और सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर होती है । भाजपा ने भी इस मुद्दे को लपककर काँग्रेस पर हमला बोल दिया । भाजपा ने आरोप लगाया कि काँग्रेस और काँग्रेस नेता श्री राहुल गाँधी जार्ज सोरोस के एजेण्डे पर चलकर भारत की अर्थ व्यवस्था अस्थिर करने का कुचक्र कर रहे हैं । भारतीय जनता पार्टी ने यह बात संसद में भी कही और मीडिया के सामने भी । भाजपा ने अपने आरोप के समर्थन में जो पत्रक दिखाये उनमें एक पत्रक ऐसा है जिसमें जार्ज सोरोस के वित्त पोषण से जुड़ी एक संस्था "फोरम आफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पैसिफिक" में श्रीमती सोनिया गाँधी को सह अध्यक्ष दर्शाया गया है । आरोप है कि जार्ज सोरोस से श्रीमती सोनिया गाँधी की इस युति के चलते ही काँग्रेस मोदी सरकार विरोधी अंतरराष्ट्रीय एजेंडे पर काम कर रही है । जहाँ तक श्रीमती सोनिया गाँधी पर लगे आरोपों का प्रश्न है, यह नया नहीं है । उनपर आरोप तब से लगते रहे हैं जबसे विवाह होकर वे भारत आईं हैं तब उनपर सबसे पहला आरोप यही लगा था कि वे श्री राजीव गाँधी से विवाह के साथ अपना रिटर्न टिकिट साथ लाईं थीं। पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने उनपर अपनी शैक्षणिक योग्यता और इटली में जन्मस्थान गलत जानकारी देने का आरोप भी लगाया था । एक आरोप यह भी लगा था कि विवाह के वर्षों बाद तक उन्होंने अपनी इटली की नागरिकता नहीं छोड़ी थी । यह भी कहा जाता है कि 1977 में काँग्रेस चुनाव हार गई थी तो वे अपने दोनों बच्चों को लेकर इटली दूतावास चलीं गई थीं। क्वात्रोकी से निकटता, बोफोर्स तोप कमीशन, नेशनल हेराल्ड संपत्ति के दुरुपयोग आदि में भी उनका नाम सुर्खियों में आया । अगस्ता हेलीकॉप्टर खरीदी में उनके राजनैतिक सचिव अहमद पटेल का नाम उछला था । लेकिन ताजा आरोप इनसे बहुत अलग है । इस बार उनपर आरोप भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के साथ संपर्क रखने का लगा है । इसी का खुलासा फ्रेंच अखबार मीडियापार्ट ने किया है । इस खुलासे के बाद भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी और निशिकांत दुबे खुलकर सामने आये। काँग्रेस और श्रीमती सोनिया गाँधी पर लगे इन आरोपों को पुष्ट करने वाले कुछ पत्रक संसद में लहराये गये और मीडिया को भी दिखाये गये ।राज्यसभा में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने भी ये आरोप दोहराये । भाजपा ने पत्रक प्रस्तुत किये उनमें "फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पैसिफिक" में सह अध्यक्ष के रूप में श्रीमती सोनिया गाँधी का चित्र भी छपा है। यह संस्था पाकिस्तान समर्थक और भारत विरोधी संस्था मानी जाती है। इसके कुल चार सह-अध्यक्ष हैं। इनमें श्रीमती सोनिया गांधी के अतिरिक्त फिलीपीन्स के पूर्व राष्ट्रपति कोराजोन एक्विनो, नेशनल कांग्रेस ऑफ न्यू पॉलिटिक्स के अध्यक्ष किम डेंग ज़ुम और पूर्व राष्ट्रपति ऑस्कर सांचेज भी सह अध्यक्ष हैं। अनेक देशों में कुछ एनजीओ इस संस्था के सहयोगी हैं, इनमें "राजीव गांधी फाउंडेशन" भी है । "फोरम आफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पैसिफिक भी जार्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित संस्था है । जार्ज सोरोस का भारत विरोधी अभियान विश्व में भारत की बढ़ती साख से इर्षित होकर जो संस्थाएँ कूटरचित तर्कों से भारत की छवि बिगाड़ने का प्रयास में जुटीं हैं, इन सबके सूत्र जार्ज सोरोस से जुड़ते हैं। जार्ज सोरोस स्वयं भी प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी के मुखर आलोचक हैं । जार्ज सोरोस से जुड़ी एक संस्था है OCCRP है। यह एक बड़ा मीडिया पोर्टल है । इसका पूरा नाम "आर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट" है । जिसे संक्षिप्त में OCCRP कहा जाता है । इस पोर्टल पर भारत की अर्थ व्यवस्था को अस्थिर करने के समाचार अक्सर देखे जा सकते हैं । OCCRP का मुख्यालय अमेरिका में है । इसकी स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी । इसका नेटवर्क दुनियाँ के सौ से अधिक देशों में है । जिनमें उन देशों के कुछ बेवसाइट और मीडिया नेटवर्क जुड़े हैं। इसके अतिरिक्त कुछ देशों में कुछ मीडियाकर्मी भी जुड़े है। हालाँकि इसका स्वरूप एक "नाॅन प्रोफेटिबल पब्लिक फंडेड संस्था" के रूप में है लेकिन यह जार्ज सौरोस द्वारा फंडिंग संस्था ही मानी जाती है । जिन देशों में इस OCCRP का नेटवर्क है वहां कुछ राजनैतिक दलों में भी इसकी पैठ है । इसलिए इस संस्था द्वारा उठाये गये मुद्दे अक्सर चर्चित हो जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोरोस ने इस 0CCRP के अतिरिक्त भी कुछ अन्य मीडिया कंपनियों में भी निवेश किया है। अमेरिका के 30 से अधिक मीडिया आउटलेट्स में उनका डायरेक्ट निवेश माना जाता है। इसमें न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉशिंगटन पोस्ट, एपी, सीएनएन और एबीसी शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोरोस ने फरवरी 2008 में कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों में भी निवेश किया था । जार्ज सोरोस भारत की राजनीति में हस्तक्षेप करने केलिये लंबे समय से चर्चित हैं। पिछले दस वर्षों में विश्व के अनेक मंचों पर उन्होंने प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी की खुलकर आलोचना की है । जिन नीतियों पर जार्ज सोरोस ने आलोचना की उनमें अंतरराष्ट्रीय नीतियाँ ही नहीं भारत के आतंरिक मामले और कानून व्यवस्था की नीतियाँ भी रहीं हैं। इनमें कश्मीर से धारा 270 हटाने, नागरिकता कानून, किसान आँदोलन, खालिस्तान आँदोलन जैसे आंतरिक मुद्दे भी थे जिनपर भी जार्ज सोरोस ने भारत की नीतियों की आलोचना की । जार्ज सोरोस ने यह भी कहा कि "मोदी के नेतृत्व में भारत तानाशाही व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। गत वर्ष जनवरी माह में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी के खिलाफ रिपोर्ट जारी की तो तब भी जार्ज सोरोस ने अडानी के बहाने मोदीजी पर निशाना साधा और कहा था कि "अडानी का पीएम मोदी के साथ इतना घनिष्ठ संबंध है कि दोनों एक-दूसरे के लिए जरूरी हो गए हैं"। भाजपा के आरोप अब यह केवल संयोग भर है या निसंदेह कोई योजना मोदीजी को भारतीय उद्योगपति अडानी से जोड़कर काँग्रेस जो विन्दु उठा रही है उनकी शैली ठीक वैसी ही है जैसी इस मुद्दे पर जार्ज सोरोस की रही है । इसके अतिरिक्त भारतीय संसद के सत्र की पृष्टभूमि में घटने वाली कुछ और घटनाओं और अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा उठाने की "टाइमिंग" भी आश्चर्यजनक है । इनमें किसानों से संबंधित रिपोर्ट 3 फरवरी 2021 को आई, जबकि संसद का सत्र 29 जनवरी 2021 से था। पेगासस रिपोर्ट 18 जुलाई 2021 को आई, संसद का मॉनसून सत्र 19 जुलाई 2021 से था। हिंडनबर्ग रिपोर्ट 24 जनवरी 2023 को आई, जबकि संसद का बजट सत्र 30 जनवरी 2023 से था। बीबीसी की डाक्यूमेंट्री 17 जनवरी 2023 को आई, संसद का सत्र 30 जनवरी 2023 से आरंभ होना था। मणिपुर का वीडियो 19 जुलाई 2023 को रिलीज हुआ, संसद का मॉनसून सत्र 20 जुलाई 2023 को शुरू हुआ। 10 मई 2024 को वैक्सीन से संबंधित रिपोर्ट आई, जबकि भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे थे। अगस्त 2024 में सेबी के अध्यक्ष के खिलाफ रिपोर्ट आई और हाल ही में 25 नवंबर से भारत का संसद सत्र शुरू होने वाला था, और 20 नवंबर को यूएस में एक रिपोर्ट जारी हो गई। ये तमाम विवरण देकर भाजपा ने यह साबित करने का प्रयास किया है कि काँग्रेस जार्ज सोरोस एवं भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय शक्तियों से मिलकर भारत सरकार को कमजोर करने कर रही है । भारतीय जनता पार्टी ने अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल पर पोस्ट करके सोनिया गांधी और जॉर्ज सोरोस के बीच के लिंक को लेकर सवाल उठाए। भाजपा ने अपनी पोस्ट में अमेरीकी डीप स्टेट पर आरोप लगाया कि वह भारत की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ को कम करने और भारत को अस्थिर करने का प्रयास कर रहा है। इसके साथ भाजपा ने इंडी गठबंधन से प्रश्न भी किया है कि क्या इंडी गठबंधन, कांग्रेस की इस विदेशी संबंध की गुथ्थी में साझेदार है या नहीं? और श्रीमती सोनिया गांधी से भी पूछा है कि वे बताएं कि जिस एशिया पैसिफिक में जॉर्ज सोरोस ने फंड किया है, उसमें सोनिया गांधी ने सह-अध्यक्ष का पद क्यों स्वीकार किया था? और क्यों इस संस्था की गतिविधियों के बारे में देश को कोई जानकारी क्यों नहीं दी । लेखक:- रमेश शर्मा