जया एकादशी 2025 तिथि और मुहूर्त -
- तिथि प्रारंभ: 9 फरवरी 2025, रविवार, सुबह 02:50 बजे
- तिथि समाप्त: 10 फरवरी 2025, सोमवार, सुबह 01:15 बजे
- पारण (व्रत खोलने का समय): 11 फरवरी 2025, सूर्योदय के बाद
- इस व्रत को करने से भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति पिछले जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है।
- धर्मशास्त्रों में इसे स्वर्ग लोक में स्थान दिलाने वाली एकादशी बताया गया है।
- व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्यक्ति जीवन में उन्नति करता है।
इसलिए, यह एकादशी भूत-प्रेत बाधाओं को समाप्त करने वाली और मोक्ष देने वाली मानी जाती है।
इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार की बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
- दशमी तिथि (एक दिन पहले) से सात्त्विक आहार लें और बुरे विचारों से बचें।
- प्रातः स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु के समक्ष दीप जलाएं और तुलसी दल चढ़ाएं।
- श्री हरि को फल, पंचामृत, तुलसी, और पीले फूल अर्पित करें।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- दिनभर उपवास रखें, यदि संभव हो तो जल भी न लें।
- रात्रि जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
- द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।
व्रत के साथ यदि कुछ विशेष अनुष्ठान किए जाएँ, तो इसके प्रभाव कई गुना बढ़ जाते हैं।
- भगवान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- रामायण या भगवद्गीता का पाठ करें।
- दान-पुण्य करें – अन्न, वस्त्र, और दक्षिणा गरीबों को दें।
- श्री हरि के नाम का संकीर्तन करें और ध्यान लगाएं।
- रात्रि में जागरण करें और विष्णु सहस्त्रनाम या भगवद्गीता के श्लोक पढ़ें।