सूर्य मंदिरों का रहस्य
Date : 10-Feb-2025
सूर्य इस शब्द मे ही गूढता भरी हुई है. इक्कीसवी सदी का एक चौथाई हिस्सा समाप्त हो रहा है, फिर भी सूर्य का आकर्षण और सूर्य संबंधी ज्ञान / अज्ञान, आज भी वैसा ही है, जैसा हजारों वर्षों पहले था..!
आगे चल कर अल् बिरुनी इस अरब इतिहासकार ने ग्यारहवी सदी मे किये हुए मुलतान यात्रा मे इस मंदिर का उल्लेख किया है. आठवी सदी मे, अर्थात, वर्ष 712 मे उम्मयाद साम्राज्य के तत्कालीन खलिफा ने, मोहम्मद बिन कासीम को सिंध प्रांत पर आक्रमण करने भेजा. इस मोहम्मद बिन कासीम ने राजा दाहीर को इस युद्ध मे परास्त करके, मुलतान समेत लगभग पूरा सिंध प्रांत अपने अधिपत्य मे ले लिया. तब उसके ध्यान मे आया की मुलतान का आदित्य मंदिर और उसके आसपास लगने वाला बाजार, यह उसके कमाई का बडा साधन बन सकता है. इसलिये उसने यह मंदिर तोडा नही, वैसे ही रहने दिया. इस मंदिर से मिलने वाला राजस्व, उसके लिए मोटी तगडी कमाई था. बाद में जब आसपास के क्षेत्र के हिंदू राजा मुलतान पर आक्रमण करके मुस्लिम आक्रांताओंको खदेडने आते थे, तब यह कासिम धौंस देता था, कि 'मुलतान पर आक्रमण करोगे तो याद रखो, तुम्हारा आदित्य सूर्य मंदिर मै ध्वस्त कर दूंगा.’
इस मंदिर के गर्भगृह की रचना ऐसी है कि, दिन और रात जब समान होते हैं, उस दिन, अर्थात 21 मार्च और 23 सितंबर को, जब सूर्य विषुववृत्त को पार करता हैं, तब सूर्य की पहली किरण, गर्भगृह की सूर्य प्रतिमा को प्रकाशित करती है. वैसे ही, वर्ष का सबसे बडा दिन और सबसे बडी रात जब होती है, तब इस मंदिर की छाया नही होती. (अभी इस मंदिर मे सूर्य देवता की मूर्ती नही है). मंदिर पर अनेक प्रकार की मूर्तियां और आकृतियां उकेरी गयी है. इसमे सूर्य मालिका और पंच महाभूतोंका (वायू, पृथ्वी, आकाश, अग्नी, जल) संबंध (relation) बताया है. यह मंदिर 52 स्तंभोंपर खडा है. यह स्तंभ, वर्ष के 52 सप्ताहोंका प्रतिनिधित्व करते है.