धन का प्रभाव: चाणक्य नीति के दृष्टिकोण से | The Voice TV

Quote :

" कृतज्ञता एक ऐसा फूल है जो महान आत्माओं में खिलता है " - पोप फ्रांसिस

Editor's Choice

धन का प्रभाव: चाणक्य नीति के दृष्टिकोण से

Date : 12-Mar-2025

यस्यार्थास्तस्य मित्राणि यस्यार्थास्तस्य बान्धवाः |

यस्यार्था: स पुमांल्लोके यस्यार्था: स च पण्डित :||

यहां आचार्य चाणक्य धनवान होने से उपजी गुणवत्ता की चर्चा करते हुए कहते है कि जिस व्यक्ति के पास पैसा है लोग स्वत: ही उसके मित्र बन जाते है | बन्धु – बान्धव भी उसे आ घेरते है | जो धनवान है उसी को आज के युग में विद्वान और सम्मानित व्यक्ति माना जाता है | धनवान व्यक्ति को ही विद्वान और ज्ञानवान भी समझा जाता है |

वस्तुतः सैकड़ो वर्ष पूर्व आचार्य चाणक्य द्वारा खी गई यह बात आज के युग में पूरी तरह सत्य सिद्ध हो रही है | यह देखा गया है कि जिसके पास धन नही होता , मित्र – बंधुगण उससे मुहं मोड़ लेते  है , बन्धु – बान्धव और परिवारवाले उसका परित्याग कर  देते है | यहां तक कि निर्धन व्यक्ति को इन्सान समझने में भी कठिनाई अनुभव की जाती है | ऐसे व्यक्ति को कोई आदमी ही नही समझता | अनेक गुणोंवाला निर्धन व्यक्ति आज के युग में उपेक्षित रहता है | यह धन की महत्ता का लौकिक प्रभाव है |

 

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload









Advertisement