मुलेठी (Mulethi) को भारत में जड़ी-बूटी माना जाता है, इसलिए आयुर्वेद में इसके गुणों का डिटेल में वर्णन किया गया है. कुछ देशों में मुलेठी का प्रयोग विशेष प्रकार के आहार में भी किया जाता है. इसे इम्युनिटी बूस्टर माना जाता है और यह शरीर को एलर्जी और संक्रमण से तो बचाती ही है, साथ ही गले को साफ और लंग्स को स्वस्थ भी रखती है. भारत और अन्य देशों में हजारों वर्षों से यह प्रयोग में लाई जा रही है.
बहुउपयोगी है मुलेठी
अजब-गजब है मुलेठी (Liquorice) और उसका स्वाद. इसे जड़ी-बूटी माना जाए, लेकिन इसका उपयोग कई तरह से होता है. आप हैरान होंगे कि इस बूटी का इस्तेमाल शराब बनाने में भी किया जाता है. भारत में इसे आयुर्वेदिक औषधि माना जाता है, जिसका घरेलू प्रयोग भी होता है. अगर गला खराब है, फेफड़ों में से आवाज आ रही है तो मुलेठी का डंठल या उसका पाउडर चूसने की सलाह दी जाती है. लेकिन आयुर्वेद ने इसे यहीं तक सीमित नहीं किया है, उसके अनुसार मुलेठी बहु-उपयोगी है और इसका उपयोग कई दवाओं में भी होता है.
दूसरी ओर चीन व कुछ पश्चिमी देशों में कैंडी, मिठाई, च्यूइंगम, आइसक्रीम आदि में इसका फ्लेवर मिलाकर उसे स्वादिष्ट बनाया जाता है. तंबाकू में भी इसकी जड़ को मिलाया जाता है, जिससे वह अलग तरह की मिठास व सुकून देती है. कुछ स्पेशल कोल्ड ड्रिंक्स में भी इसका फ्लेवर नया ही स्वाद पैदा करता है.
भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसका वर्णन
मुलेठी का हजारों वर्षों से विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा रहा है. कई प्राचीन ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता है. मिस्र, चीन और भारत में हजारों वर्षों से विभिन्न पारंपरिक दवाओं व लोक उपचार का हजारों वर्ष लंबा इतिहास है. वहां इसके डंठल, जड़ों व अर्क का प्रयोग बताया गया है. सातवीं-आठवीं ईसा पूर्व लिखे गए भारतीय आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ से लेकर 15वीं-16वीं शताब्दी में लिखे बए आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘भावप्रकाश’ में मुलेठी के लाभ-हानि का विस्तार से वर्णन है. ग्रंथ के अनुसार यह प्रकृति से शीतल, पचाने में भारी, स्वाद में मधुर है. यह आंखों की समस्याओं के लिए भी लाभकारी है बल्य (ताकत प्रदाता) गुण के कारण यह ताकत बढ़ाने में भी मदद करता है.
इसका सेवन शुक्राणु (Sperm) और वीर्य (Semen) की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मदद करता है. भारतीय जड़ी-बूटियों, फलों व सब्जियों पर व्यापक रिसर्च करने वाले जाने-माने आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य बालकिशन के अनुसार औषधीय दृष्टि से देखें तो मुलेठी कई रोगों में लाभकारी है. यह वात और पित्त दोष को कम करती है. त्वचा रोगों और बालों के लिए फायदेमंद हैं. आमतौर पर इसका इस्तेमाल सर्दी-जुकाम या खांसी में आराम पाने के लिए किया जाता है. लेकिन इसके सेवन के और भी लाभ हैं. इसका मुख्य इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में किया जाता है.
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देती है
मुंबई यूनिवर्सिटी के पूर्व डीन व वैद्यराज दीनानाथ उपाध्याय के अनुसार आयुर्वेद में लंबे समय से मुलेठी का प्रयोग किया जा रहा है. उसका कारण यह है कि इसमें शरीर को स्वस्थ रखने वाले कई गुण है. यह इम्युनिटी बूस्टर (रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली) है, जो शरीर को एलर्जी और संक्रमण से तो बचाती ही है, साथ ही गले को साफ और लंग्स को स्वस्थ भी रखती है. इसका सेवन श्वसन पथ को साफ रखता है, तभी भारत के शास्त्रीय गायक इसका लगातार सेवन करते हैं.
मुलेठी में रेचक के गुण भी पाए जाते हैं, इसलिए यह पेट रोगों के लिए भी लाभकारी मानी जाती है. इसका सामान्य उपयोग अपच, एसिडिटी, सीने में जलन और कब्ज से बचाव करते हैं. इसमें सूजन रोधी गुण भी पाए जाते हैं, जिस कारण यह गठिया रोग भी लाभकारी होती है. सबसे बड़ी बात यह है कि इसका सेवन सामान्य बीमारियों से बचाए रखता है. मुलेठी का स्वाद ऐसा होता है कि इसका ज्यादा सेवन नहीं किया जा सकता है, लेकिन अगर ज्यादा खा ली तो यह सिरदर्द तो करेगी ही, गले को भी चोक कर सकती है.