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आईआईटी खड़गपुर और जर्मनी की राइन-मेन यूनिवर्सिटीज के बीच हुआ समझौता

Date : 06-Nov-2025

 - एमओयू से भारत और जर्मनी के बीच शैक्षणिक सहयोग, नवाचार और वैश्विक शोध साझेदारी को मिलेगी नई गति

खड़गपुर, 06 नवम्बर । पश्चिम बंगाल स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर (आईआईटी खड़गपुर) ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में भारत-जर्मनी सहयोग को नई ऊंचाई देने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। संस्थान ने जर्मनी की राइन-मेन यूनिवर्सिटीज (आरएमयू) के साथ एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

आरएमयू, जर्मनी के तीन प्रमुख विश्वविद्यालयों - गोएथे यूनिवर्सिटी फ्रैंकफर्ट एम माइन, योहानेस गुटेनबर्ग यूनिवर्सिटी माइनज और टेक्निकल यूनिवर्सिटी डार्मश्टाट का एक रणनीतिक शैक्षणिक गठबंधन है। यह समझौता टेक्निकल यूनिवर्सिटी डार्मश्टाट में आयोजित एक विशेष समारोह में संपन्न हुआ।

आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रो. सुमन चक्रवर्ती के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर भारतीय दूतावास, बर्लिन के काउंसलर (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) डॉ. रामानुज बनर्जी, टीयू डार्मश्टाट के उपाध्यक्ष (अनुसंधान) प्रो. डॉ. इंग. मैथियास ऑएक्सनर, अंतरराष्ट्रीय मामलों की निदेशक डॉ. जाना फ्राइहोफर तथा गोएथे यूनिवर्सिटी फ्रैंकफर्ट के ग्लोबल ऑफिस प्रमुख डॉ. योहानेस म्युलर भी उपस्थित थे।

यह साझेदारी संयुक्त अनुसंधान, शिक्षकों और छात्रों के आदान-प्रदान, शैक्षणिक नेटवर्किंग तथा विविध विषयों में सहयोगी शैक्षणिक और सांस्कृतिक पहलों के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करेगी। इसी के साथ आईआईटी खड़गपुर को औपचारिक रूप से आरएमयू के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क “आरएमयूनिवर्स” में शामिल किया गया है, जिसके माध्यम से संयुक्त अनुसंधान प्रस्तावों, फैलोशिप, व्याख्यान श्रृंखलाओं और जर्मनी में छात्र अनुसंधान प्रवासों के नए अवसर खुलेंगे।

समारोह में प्रो. सुमन चक्रवर्ती ने कहा कि यह साझेदारी भारत-जर्मनी वैज्ञानिक सहयोग के एक नए अध्याय की शुरुआत है। आईआईटी खड़गपुर के नवाचार-प्रेरित पारिस्थितिकी तंत्र और राइन-मेन यूनिवर्सिटीज़ की अनुसंधान क्षमता का संगम भविष्य के शोधकर्ताओं और नवप्रवर्तकों को तैयार करेगा, जो विश्व की प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम होंगे।

यह समझौता संयुक्त परियोजनाओं, पीएचडी प्रशिक्षण कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और युवा शोधकर्ताओं के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करेगा। पांच वर्षों की अवधि के लिए प्रभावी यह एमओयू भारत और जर्मनी के बीच निरंतर शैक्षणिक सहयोग, नवाचार और वैश्विक शोध साझेदारी को नई गति देगा।

 
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