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बिहार विधानसभा चुनाव: मैथिली और खेसारी के ज़रिए बदलाव बनाम परंपरा की परीक्षा

Date : 06-Nov-2025

  लोकगायिका मैथिली ठाकुर और भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव की चुनौती

अलीनगर/छपरा, 06 नवम्बर (हि.स.)। बिहार विधानसभा चुनाव-2025 का पहला चरण पूरी तरह से नए चेहरे और पुरानी राजनीति के बीच संघर्ष की तस्वीर पेश कर रहा है। अलीनगर विधानसभा सीट इस बार सुर्खियों में है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यहां से लोकगायिका मैथिली ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर एक नया प्रयोग किया है। संगीत की दुनिया से राजनीति में कदम रखने वाली मैथिली ठाकुर का यह पहला चुनाव है और उनका मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अनुभवी उम्मीदवार विनोद मिश्रा से है।

नया चेहरा, वही पुरानी राजनीति, मुकाबले में त्रिकोणीय टकराव

अलीनगर में भाजपा ने यह कदम युवा मतदाताओं और महिलाओं को आकर्षित करने के उद्देश्य से उठाया है। मैथिली ठाकुर की लोकप्रियता का आधार उनके संगीत और जनसंपर्क में निहित है। उनका प्रचार मुख्य रूप से युवा ऊर्जा, महिला सशक्तिकरण और सांस्कृतिक जुड़ाव पर केंद्रित है। हालांकि, अलीनगर में जातीय और धार्मिक समीकरण अभी भी निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।

राजनीतिक के विशेषज्ञ मानते हैं कि मैथिली का नया चेहरा बदलाव की भावना लाने में सफल हो सकता है, लेकिन स्थानीय राजनीतिक दबदबा और पुराने वोट बैंक अभी भी भारी हैं। निर्दलीय उम्मीदवार राखी गुप्ता भी इस चुनाव में सक्रिय हैं। उनका उद्देश्य सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनाकर मुख्य दलों के समीकरण को चुनौती देना है। इससे अलीनगर में चुनावी लड़ाई और जटिल हो गई है।

छपरा सीट : संगीत की लोकप्रियता बनाम अनुभव

उधर, छपरा विधानसभा सीट पर भी राजनीतिक परिदृश्य खासा दिलचस्प है। प्रसिद्ध भोजपुरी गायक खेसारी लाल यादव इस बार राजद के टिकट पर मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा की छोटी कुमारी से है। छपरा में खेसारी लाल यादव की लोकप्रियता युवाओं और ग्रामीण मतदाताओं में बदलाव की उम्मीद जगा रही है। हालांकि, इस सीट पर भी जातीय संतुलन और स्थानीय दबदबा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। राजनीति के जानकारों का कहना है कि छपरा और अलीनगर जैसी सीटें दिखाती हैं कि नए चेहरे और पारंपरिक राजनीति के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं है। जनता अब सिर्फ पहचान या लोकप्रियता के आधार पर वोट नहीं कर रही, बल्कि विचार और नीति को भी परख रही है।

मतदाता का मूड : बदलाव या परंपरा

अलीनगर और छपरा विधानसभा क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें दिख रही हैं। विश्लेषकों का कहना है कि यह संकेत है कि युवाओं और महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता बढ़ी है। स्थानीय मतदाता बता रहे हैं कि वे अब सिर्फ जातीय या धार्मिक आधार पर वोट नहीं डालना चाहते, बल्कि ऐसे उम्मीदवार को प्राथमिकता देंगे जो विकास, सुरक्षा और सांस्कृतिक संवेदनाओं का सम्मान करे। अलीनगर में यह साफ दिखाई दे रहा है कि युवा मतदाता बदलाव की उम्मीद के साथ मतदान कर रहे हैं। वहीं, पुराने वोट बैंक और जातीय समीकरण अभी भी कुछ हद तक निर्णायक बने हुए हैं। छपरा में खेसारी लाल यादव की लोकप्रियता ने मतदाता वर्ग को उत्साहित किया है, लेकिन अनुभवी नेताओं और स्थानीय दबदबे के असर को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

संगीत और संस्कृति का राजनीतिक प्रयोग

मैथिली ठाकुर और खेसारी लाल यादव जैसे कलाकार यह साबित कर रहे हैं कि लोकप्रियता और संस्कृति को राजनीतिक रणनीति में प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, राजनीति की असली परीक्षा यह है कि क्या उनका लोकप्रिय चेहरा मतदाताओं के जीवन और समस्याओं को समझने में सक्षम है?

पुरानी राजनीति बनाम नए दृष्टिकोण की परीक्षा

अलीनगर और छपरा में परंपरा और जातीय समीकरण अभी भी निर्णायक हैं। जनता अब सिर्फ पहचान नहीं, बल्कि विचार, विकास और बदलाव को महत्व दे रही है। राजनीतिक विश्लेषक लव कुमार मिश्र मानते हैं कि अलीनगर और छपरा का परिणाम बिहार के अन्य हिस्सों में राजनीतिक बदलाव और युवा सहभागिता का संकेत देगा। इस बार चुनाव केवल उम्मीदवारों की लड़ाई नहीं है, बल्कि पुरानी राजनीति बनाम नए दृष्टिकोण की परीक्षा भी है।-------हिन्दुस्थान समाचार / राजेश / चंदा कुमारी

 
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