प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक वर्ष तक चलने वाले स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने स्मारक डाक टिकट और स्मारक सिक्का जारी किया तथा “vandemataram150.in” पोर्टल लॉन्च किया, जहाँ नागरिक राष्ट्रीय गीत गाते हुए अपने वीडियो अपलोड कर प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकेंगे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि “एक मंत्र, एक ऊर्जा, एक स्वप्न और एक संकल्प” है। उन्होंने इसे भारत माता की भक्ति और आराधना का प्रतीक बताया, जो इतिहास से प्रेरणा देती है, वर्तमान में आत्मविश्वास भरती है और भविष्य के लिए साहस जगाती है। प्रधानमंत्री ने सामूहिक गायन को एक ऐसा अनुभव बताया जो “हृदय को झकझोर देने वाला और शब्दों से परे” है।
श्री मोदी ने कहा कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने इस गीत के माध्यम से एक स्वतंत्र, अखंड और समृद्ध भारत का आह्वान किया था।
इस अवसर पर दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता उपस्थित रहीं। अपने संबोधन में श्री शेखावत ने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति है। यह गीत स्वतंत्रता सेनानियों के हृदय में विद्रोह की भावना जगाने वाला था, और आज भी यह भारतीयों में देशभक्ति और एकता की भावना को प्रबल करता है।
समारोह के दौरान सार्वजनिक स्थलों पर वंदे मातरम के पूर्ण संस्करण का सामूहिक गायन किया गया, जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोग उत्साहपूर्वक शामिल हुए।
“वंदे मातरम” को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने अक्षय नवमी, 7 नवंबर 1875 को रचा था। यह पहली बार साहित्यिक पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में उनके प्रसिद्ध उपन्यास आनंदमठ के एक भाग के रूप में प्रकाशित हुआ था। मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करता यह गीत आज भी भारत की एकता और राष्ट्रीय गौरव का अटूट प्रतीक बना हुआ है।
