वाराणसी, 28 नवंबर । उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी में एक भारत–श्रेष्ठ भारत की भावना को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से काशी–तमिल संगमम् 4.0 के तहत जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में तीन दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम “वणक्कम काशी” नुक्कड़ नाटक श्रृंखला की शुरुआत हुई।
“वणक्कम काशी” के पहले दिन विश्वविद्यालय परिसर के एम्फीथिएटर, विश्वनाथ मंदिर प्रांगण और केन्द्रीय विद्यालय में विद्यार्थियों ने संवादात्मक एवं आकर्षक प्रस्तुतियां दीं। इन नाटकों के माध्यम से छात्रों, श्रद्धालुओं, पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों को यह संदेश दिया गया कि भारत की आत्मा उसकी विविधता में निहित एकता में बसती है। इस पहल के जरिए काशी और तमिलनाडु के प्राचीन और गहरे सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक गहराई से समाज में सांस्कृतिक एकात्मता का संदेश देना भी है।
कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. स्वप्ना मीना और कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि नाटक की पटकथा में काशी और तमिलनाडु की साझा आध्यात्मिक विरासत को प्रमुखता दी गई है। विशेषकर भगवान शिव की उपासना परंपरा, स्थापत्य, संगीत, भाषा और साहित्यिक संबंधों को जीवंत दृश्यों के माध्यम से प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया। नाटकों में ‘लर्न तमिल – तमिल कर्पम’ पहल को भी शामिल किया गया, ताकि युवाओं के बीच भाषाई आदान-प्रदान और सांस्कृतिक सहभागिता को बढ़ावा मिले। स्वयंसेवक रिया दुबे और जे. ए. मोल्लाह ने पूरे आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बीएचयू विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि यह जन-अभियान काशी–तमिल संगमम् 4.0 के प्रति आम जन में उत्साह और सहभागिता को बढ़ाने का प्रभावी माध्यम साबित होगा। साथ ही उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक एकरूपता के स्थायी संबंध और मजबूत होंगे। अभियान के तहत 29 नवंबर (शनिवार) को नुक्कड़ नाटक श्रृंखला रविदास घाट, अस्सी घाट, दुर्गा मंदिर और नमो घाट पर भी प्रस्तुत की जाएगी।
