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Science & Technology

लूसी का हुआ जुड़वां उल्कापिंडों से सामना

Date : 03-Jun-2024

पिछले साल नवंबर में नासा के अंतरिक्ष यान लूसी का सामना डिंकीनेश नाम के एक छोटे से उल्कापिंड से हुआ था| वैज्ञानिकों को इस उल्कापिंड के इतिहास और भूगोल के बारे में दिलचस्प जानकारियां मिली हैं | 

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अंतरिक्ष यान लूसी ने उल्कापिंड डिंकीनेश और उसके छोटे से चंद्रमा सेलम के बारे में बहुत दिलचस्प और हैरतअंगेज जानकारियां जुटाई हैं. डिंकीनेश और सेलम हमारे सौरमंडल के सबसे छोटे उल्कापिंड हैं | 
 
डिंकीनेश और सेलम सौरमंडल की प्रमुख उल्कापिंड पट्टी में मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित हैं. लूसी ने इन दोनों को बहुत करीब से देखा और उनके ढांचे व अन्य गुणों का निरीक्षण किया. वैज्ञानिकों ने बताया कि एक उल्कापिंड के रूप में डिंकीनेश और सेलम का इतिहास बहुत जटिल रहा है | 
 
बृहस्पति की पूंछ
उल्कापिंड सौरमंडल के शुरुआती समय के बचे हुए अंश हैं जिनके भीतर इस बात के संकेत छिपे हुए हैं कि 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी और अन्य ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ होगा. डिंकीनेश और सेलम के बारे में एक शोधपत्र नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ है |
 
नासा ने 2021 में लूसी को अंतरिक्ष में भेजा था. 12 साल लंबे अभियान पर गए इस यान का लक्ष्य बृहस्पति के ट्रोजन उल्कापिडों का अध्ययन करना है. ट्रोजन उल्कापिंड आसमानी चट्टानों के दो जत्थे हैं जो बृहस्पति के पीछे एक पूंछ की तरह घूमते हैं |
 
डिंकीनेश का व्यास लगभग 720 मीटर है जबकि सेलम के दो बराबर हिस्से हैं जो आपस में जुड़े हुए हैं. एक लगभग 230 मीटर चौड़ा है जबकि दूसरा 210 मीटर. सेलम हर 53 घंटे में डिंकीनेश का एक चक्कर पूरा कर लेता है, जिसकी लंबाई करीब 3.1 किलोमीटर होती है| 
 
कैसे बना सेलम
शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसा लगता है कि डिंकीनेश के घूमने के दौरान उसका एक टुकड़ा टूट गया होगा. उसके आकार के एक चौथाई के बराबर इस टुकड़े के कई हिस्से तो आसपास बिखर गए होंगे. उन्हीं हिस्सों में से कुछ ने जुड़कर सेलम बना दिया. एक टुकड़ा डिंकीनेश पर भी गिरा और वहां उसने एक बड़ा गड्ढा बना दिया|
 
सेलम को वैज्ञानिक कॉन्टैक्ट-बाइनरी चंद्रमा कहते हैं. शोधकर्ताओं में से एक, कॉलराडो स्थित साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट की ग्रह-विज्ञानी कैथरीन क्रेक्टे कहती हैं, "कॉन्टैक्ट-बाइनरी उस पिंड को कहा जाता है, जिसमें दो अलग-अलग हिस्से एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं. यह जुड़ाव नाजुक होता है लेकिन उसमें इतनी मजबूती होती है कि वे टूटें ना.”
  
क्रेक्टे कहती हैं कि यूं तो कॉन्टैक्ट-बाइनरी उल्कापिंड बहुत सारे हैं लेकिन सेलम पहला ऐसा उल्कापिंड देखा गया है जो एक अन्य उल्कापिंड के चक्कर लगाता है. सूर्य के चारों ओर डिंकीनेश के चक्कर की कुल दूरी पृथ्वी की कक्षा से करीब 2.2 गुणा ज्यादा है | 
 
ग्रहों के राज
लूसी मिशन की सहायक जांच प्रबंधक सिमोन मार्ची भी इस अध्ययन का हिस्सा रही हैं. वह बताती हैं, "अपने जीवनकाल में उल्कापिंड टूटते रहते हैं जो बाद में आपस में जुड़कर छोटे-छोटे उपग्रहों में बदलते रहते हैं. सेलम का जटिल आकार इस बात का संकेत है कि टूटने और जुड़ने की यह प्रक्रिया कई बार हो सकती है | 
 
ग्रह इन्हीं उल्कापिंडों से जुड़कर बने हैं. मार्ची बताती हैं, "पृथ्वी जैसे ग्रह असंख्य छोटे-छोटे पिंडों से बने हैं. डिंकीनेश और सेलम जैसे इन छोटे पिंडों को समझकर हम ग्रहों के निर्माण के शुरुआती दौर की बेहतर तस्वीर खींच सकते हैं.”
 
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