मंगल ग्रह पर इंसानों को 2035 तक भेजने के लिए NASA छह प्रमुख तकनीकों पर काम कर रहा है।
Date : 19-Oct-2024
मंगल ग्रह पर इंसानों को 2035 तक भेजने के लिए NASA छह प्रमुख तकनीकों पर काम कर रहा है। इसके साथ ही, एस्ट्रोनॉट्स के लिए ऑक्सीजन और उनके खाने-पीने की आवश्यकताओं पर भी शोध जारी है। आइए जानते हैं कि NASA का यह मिशन क्या है और जिन तकनीकों पर स्पेस एजेंसी काम कर रही है, वे क्यों महत्वपूर्ण हैं।
NASA के मंगल मिशन का प्रारंभिक चरण आर्टेमिस मिशन है, जिसे चांद पर इंसानों को भेजने के लिए डिजाइन किया गया है। यह मिशन मंगल पर जाने से पहले एक प्रशिक्षण मिशन के रूप में कार्य करेगा, जो चांद के रहस्यों को सुलझाने के साथ-साथ अंतरिक्ष यात्रियों को मंगल यात्रा के लिए भी तैयार करेगा। इस मिशन के लिए NASA ने SLS (स्पेस लॉन्च सिस्टम) विकसित किया है, जो एक शक्तिशाली रॉकेट है। यह अंतरिक्ष यात्रियों को मंगल पर ले जाने और वापस लाने का कार्य करेगा। इसका पहला चरण दो साल पहले शुरू हो चुका है, और 2026 में आर्टेमिस 3 के तहत इंसान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचेंगे, जिसके बाद मंगल पर जाने की तैयारी शुरू होगी।
मंगल पर पहुंचने के लिए, एस्ट्रोनॉट्स चांद पर एक बेस बनाएंगे। 2026 में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के बाद यहां आवास स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही, भूमिगत बर्फ से पानी निकालने और उसे शुद्ध करने पर भी काम होगा, ताकि मंगल ग्रह पर भी इसी तरह के संसाधनों का उपयोग किया जा सके। जिन तकनीकों का विकास किया जा रहा है, उनका परीक्षण चांद पर जाने के दौरान किया जाएगा, ताकि मंगल मिशन से पहले उन्हें चेक किया जा सके।
मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजने के लिए NASA छह प्रमुख तकनीकों पर काम कर रहा है:
1. एडवांस प्रॉप्लशन सिस्टम – यह प्रणाली सुनिश्चित करेगी कि एस्ट्रोनॉट सुरक्षित रूप से मंगल पर पहुंचें और वापस लौटें। यह यात्रा लगभग दो साल का प्रोग्राम होगा, जिसमें जाने और आने का समय शामिल होगा।
2. इन्फ्लेटेबल लैंडिंग गियर – इस तकनीक से अब तक के सबसे भारी स्पेसक्राफ्ट को लैंडिंग के लिए तैयार किया जाएगा, ताकि मंगल पर सुरक्षित लैंडिंग हो सके।
3. हाईटेक स्पेस सूट – NASA ऐसे स्पेस सूट विकसित कर रहा है जो अंतरिक्ष यात्रियों को कठोर वातावरण से बचाएंगे। ये सूट उन्हें बाहर भ्रमण के दौरान हवा और पानी की जरूरतों के बारे में भी जानकारी देंगे, जैसे ऑक्सीजन स्तर।
4. एक घर और लैब वाला रोवर – NASA मंगल ग्रह पर एस्ट्रोनॉट का प्राथमिक आश्रय एक स्थिर आवास या पहियों पर चलने वाले रोवर के रूप में विकसित कर रहा है, जिसमें आवास और प्रयोगशाला जैसी सुविधाएं होंगी। इससे एस्ट्रोनॉट मंगल पर कहीं भी जा सकेंगे और वहीं रह भी सकेंगे।
5. सरफेस पावर सिस्टम – जैसे धरती पर उपकरणों को चार्ज करने के लिए बिजली की जरूरत होती है, वैसे ही मंगल पर भी ऊर्जा की आवश्यकता होगी। NASA एक ऐसा सिस्टम विकसित कर रही है जो लाल ग्रह पर किसी भी मौसम में काम करके ऊर्जा उत्पन्न कर सके।
6. लेजर कम्युनिकेशन – यह प्रणाली धरती से संपर्क बनाए रखने और अधिक से अधिक डेटा भेजने में सक्षम होगी। यह हाई रिजॉल्यूशन फोटो और वीडियो को तुरंत मंगल से धरती पर भेज सकती है।
इसके अलावा, एस्ट्रोनॉट्स के लिए खाने-पीने और ऑक्सीजन की चुनौती भी है। NASA "मार्स ऑक्सीजन इन सिटू रिसोर्स एक्सपेरीमेंट" के जरिए मंगल पर ऑक्सीजन उत्पन्न करने की कोशिश कर रहा है। भोजन भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि वहां जाने वाले यात्रियों के लिए कोई खाद्य आपूर्ति मिशन नहीं भेजा जा सकता। इसलिए, ऐसी खाद्य प्रणालियों पर ध्यान दिया जा रहा है, जो मंगल पर भोजन उपलब्ध कराने में मदद कर सकें। पानी के लिए भी इसी तरह के उपाय किए जा रहे हैं, ताकि एस्ट्रोनॉट्स वहां मौजूद संसाधनों से पानी प्राप्त कर सकें।
मंगल ग्रह बेहद रहस्यमय है, अब तक नासा को इसके बारे में जो पता है, उसके मुताबिक यह कभी महासागर, झील और नदियों से घिरा था. अब इसकी सतह पर पानी नहीं है. नासा के दो रोवर वर्तमान में मंगल पर काम कर रहे हैं. हालांकि ऐसा क्यों है यह रहस्य अभी तक अनसुलझा है. नासा यह जानना चाहता है कि क्या 3.8 अरब साल पहले धरती और मंगल एक समान थे और क्या मंगल पर जीवन की संभावना है या नहीं. मिशन ये भी बताएगा कि धरती पर जीवन कैसे शुरू हुआ और क्या ब्रह्मांड में धरती के अलावा कहीं जीवन संभव है. इसके लिए एस्ट्रोनॉट वहां पर रिसर्च करेंगे. मंगल ग्रह पर लंबा वक्त बिताएंगे और मंगल के विभिन्न हिस्सों में जाकर ग्रह के बारे में पता लगाएंगे.