बीजापुर जिला अपने समृद्ध वन्य जीवन के लिए प्रसिद्ध है क्योंकि इसमें बहुत घने जंगल हैं।
तिमेड़ का अनुपम सौंदर्य- भोपालपट्नम से लगे तिमेड़ गांव के समीप इंद्रावती नदी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बीच सीमा बनाती है। नदी पर उच्च स्तर पुल का निर्माण हुआ है। यहां नदी का विहंगम स्वरूप देखने को मिलता है। नजारों को केमरे में कैद करने प्रकृति प्रेमी बड़ी संख्या में पहुँचते हैं।
लंकापल्ली -बीजापुर जिला मुख्यालय से 33 किमी दक्षिण दिशा की ओर आवापल्ली ग्राम है जो उसूर ब्लॉक का मुख्यालय है। यहां से पश्चिम दिशा में लगभग 15 किमी पर लंकापल्ली नामक ग्राम बसा हुआ है, जो यहां वर्ष के 12 माह निरंतर बहने वाले जलप्रपात के लिए प्रसिद्ध है। प्रकृति की गोद में शांत, निश्च्छल एवं स्वच्छंद रूप से अविरल बहती इस जलप्रपात को स्थानीय लोग गोंडी बोली में बोक्ता कहते हैं, चूंकि लंकापल्ली ग्राम के पास यह जलप्रपात स्थित है, इसलिए इसे लंकापल्ली झरने के नाम से जाना जाता है।
नीलम सरई जलधारा- उसूर ब्लॉक स्थित नीलम सरई जलधारा हाल के वर्षों में सुर्खियों में आने के बाद बीजापुर के दर्शनीय स्थलों में यह सिरमौर बन चुका है। उसूर के सोढ़ी पारा से लगभग 7 किमी दूर तीन पहाड़ियों की चढ़ाई को पार कर पहुंचा जा सकता है नीलम सरई जलप्रपात तक।
महादेव घाट -बीजापुर से भोपालपट्टनम की ओर बढ़ते हुए घाटी पड़ती है। जिसे महादेव घाट कहते हैं। घाटी में शिवजी का मंदिर है। घाटी में घुमावदार मोड़ से गुजरते केशकाल घाट की याद ताजा हो जाती है। वनाच्छादित ऊंची-ऊंची पहाड़ियां सड़क से गुजरते राहगीरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
चिकटराज -बीजापुर नगर के रहवासियों के आराध्य देव हैं चिकटराज, जिनका पूरे बीजापुर जिले के क्षेत्रवासियों के लिए ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व है। बीजापुर से गंगालूर मार्ग पर लगभग एक कि.मी. की दूरी पर चिकटराज देव का मंदिर है। चिकटराज देव 6-7 फुट लंबे बांसनुमा आकार के एक काष्ठ में विराजमान हैं। मंदिर के आगे यत्र-तत्र गणेश, विष्णु, शिव, लक्ष्मी आदि देवी-देवताओं की प्राचीन शिल्प मूर्तियां स्थापित है। प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रि के रामनवमी के बाद आने वाले प्रथम मंगलवार को यहां मेले का आयोजन होता है।