खूंटी जिले में रंगरोड़ी धाम का छटा निराली | The Voice TV

Quote :

कृतज्ञता एक ऐसा फूल है जो महान आत्माओं में खिलता है - पोप फ्रांसिस

Travel & Culture

खूंटी जिले में रंगरोड़ी धाम का छटा निराली

Date : 05-Jan-2024

 वीरों और खिलाड़ियों की धरती के रूप में प्रसिद्ध खूंटी जिले को एक ओर जहां कुदरत ने प्राकृतिक सौंदर्य से खूब सजाया-संवारा है, वहीं सदियों पुराने धार्मिक स्थल भी दिये हैं, जो चिरंतन काल से लोगों की अटूट श्रद्धा और विश्वास का केंद्र बने हुए हैं। इन्हीं प्राचीन धार्मिक स्थलों में एक है जिले की मुरही पंचायत में स्थित बाबा रंगरोड़ी धाम शिवलिंग।

चारों और घने जंगलों के बीच तजना नदी के बीच एक गुफा में विराजमान स्वयंभू शिवलिंग की पूजा-अर्चना सदियों से होती आ रही है। हर समय तजना नदी का पवित्र जल रंगरोड़ी बाबा का जलाभिषेक करता रहता है। बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को एक पांच फीट गहरी गुफा में उतरना पड़ता है।

मान्यता है कि रंगरोड़ी बाबा से सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना जरूर पूरी होती है। यहीं कारण है कि घने जंगलों के बीच स्थित इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना के लिए हर दिन श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। सावन के महीने में तो यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। हर वर्ष मकर संक्रांति पर 15 जनवरी को यहां टुसु मेला लगता है, जहां दर्जनों गांव के लोग अपने नृत्य दल और चौड़ल के साथ शामिल होते हैं। जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रंगरोड़ी धाम पहुंचने के लिए रांची-खूंटी रोड पर हुटार चौक से पूरब दिशा में जाना पड़ता है। रिंग रोड रांची से चुकरू मोड़ होकर भी यहां पहुंचा जा सकता है।

क्यों पड़ा रंगरोड़ी धाम का नाम

रंगरोड़ी धाम के नामकरण के संबंध में वैसे तो कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, पर इसको लेकर कई किंवदंतियां प्रचलित हैं। बड़ा बारू गांव के ग्राम प्रधान देवसाय पाहन बताते हैं कि उनके पूर्वजों के अनुसार किसी गांव में रंग नामक एक महिला भक्त को स्वप्न में बाबा भोलनाथ ने कहा कि वे तजना नदी की गुफा में हैं और उनकी पूजा-अर्चना होनी चाहिए। महिला सपने में बताई गई जगह को खोजते-खोजते उस स्थान पर पहुंच गई, जहां उसने गुफा में विराजमान शिवलिंग को देखा।

ग्राम प्रधाान ने बताया कि जब रंग नामक महिला वहां पहुंची, उसी समय एक दूसरे गांव से रोड़ी बाबा नामक एक संत भी शिवलिंग की खोज करते वहां पहुंचे। उन्होंने भी सपने में शिवलिंग वाले स्थान को देखा था। बताया जाता है कि दोनों ही महिला-पुरुष उसी जंगह पर रहकर पूजा-अर्चना करने लगे। चूंकि महिला का नाम रंग था और संत का नाम रोड़ी बाबा था, इसलिए यह धाम रंगरोड़ी बाबा धाम के रूप में प्रसिद्ध हो गया।

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload










Advertisement