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कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान

Date : 01-Apr-2023

छत्तीसगढ़ में कई सारे राष्ट्रीय उद्यान है जो पर्यटन की दृष्टि से समृध है उन्ही में एक है कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान यहाँ भी कई सारे पर्यटन स्थल है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान देश के सबसे सुंदर और घने जंगलों में से एक है, जो अपने वन्यजीवों, सुरम्य दृश्यों, शानदार झरनों और चूना पत्थर की गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है।

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान वर्ष 1982 में स्थापित किया गया था। इस राष्ट्रीय उद्यान का नाम कांगेर नदी से लिया गया है यह पार्क छत्तीसगढ़ के जगदलपुर जिले में स्थित है जो लगभग 200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। कांगेर घाटी में छत्तीसगढ़ के कुछ सबसे खूबसूरत झरने और गुफाएं है जो पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, परिवार या दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने के लिए सबसे अच्छे स्थलों में से एक है। मॉनसून के दौरान झरनों की ख़ूबसूरती देखते ही बनती है, बरसात के मौसम को छोड़कर आप अन्य मौसम में आप यहाँ के प्राकृतिक गुफा कोटमसर का भ्रमण कर सकते हैं।

इसकी उच्च जैव विविधता के कारण इसे बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में नामित किया गया है। इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ, हिरण, भालू, लकड़बग्घा, काला हिरन, लंगूर, भेड़िया और कई सरीसृपों के साथ-साथ कई तरह के वनस्पति भी पाए जाते हैं।

कांगेर घाटी में स्थित प्रमुख पर्यटन स्थल

कांगेर घाटी में कई सारे खूबसूरत प्रकृति स्थल है जो पर्यटकों को अपनी आकर्षित करते हैं आइये जानते हैं कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के प्रमुख आकर्षण स्थलों के बारे में

भैंसा दरहा

दरहा का तात्पर्य नदी द्वारा निर्मित जल के ताल से है। जगदलपुर से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भैंसा दरहा एक ऐसा ही जल कुंड है। यहाँ प्राकृतिक रूप से मगरमच्छ पायें जाते हैं। आप इस क्षेत्र में पिकनिक या सैर का कार्यक्रम भी बना सकते हैं चारों ओर हरी-भरी हरियाली दिल को सुकून और मन को शांति प्रदान करता है। भैंसा दरहा बरसात के मौसम में बंद हो जाता है। नतीजतन, इस स्थान पर जाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों में है।

कांगेर धारा जलप्रपात

जगदलपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में कांगेर धारा जलप्रपात जो पिकनिक मनाने के लिए सबसे अच्छा स्थल है। यहाँ आप खूबसूरत झरने से गिरते पानी में स्नान कर सकते हैं।

तीरथगढ़ जलप्रपात

तीरथगढ़ जलप्रपात छत्तीसगढ़ के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। 100 से अधिक फीट की ऊंचाई से गिरता झरना, शानदार दृश्य का निर्माण करता है। आसपास की हरियाली इसकी ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा देती है। तीरथगढ़ जलप्रपात को मिल्की ड्रॉप्स के रूप में भी जाना जाता है। चट्टानों के उपर से गिरता पानी ऐसा प्रतीत होता है मानो दूध से बह रहा हो। जलप्रपात के समीप ही भगवान शिव और माँ पार्वती का मंदिर है जिसमें आने वाले पर्यटक प्रार्थना करने हैं।

कोटमसर गुफा

जगदलपुर से लगभग 40 किलोमीटर दूर कोटमसर गुफा जो 1370 मीटर तक फैली हुई हैं और 35 मीटर भूमिगत हैं। चूना पत्थर से बनी यह आकर्षक गुफा, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के पश्चिमी ढलान में कांगेर नदी के समीप स्थित है। वर्ष 1900 की शुरुआत में इस गुफा की खोज की गई। यह छत्तीसगढ़ के सबसे प्रसिद्ध गुफाओं में से एक है। गुफा के भीतर कोई भी प्राकृतिक रोशनी नहीं हैं। यह रोमांच से भरपूर है खाश तौर से एडवेंचर पसंद करने वाले पर्यटकों को काफी ज्यादा आकर्षित करता है।

कैलाश गुफा

मिल्कुवाडा गाँव के पास कैलाश गुफा की खोज 1993 में हुई थी। इस गुफा की खोज से पहले, पास के आदिवासी इस गुफा के बारे में जानते थे। कोटमसर गुफा में कई तरह की सरंचनाये हैं। गुफा में शिवलिंग जैसी आकृति की सरंचना है जिसे स्थानीय लोग शिवलिंगम कहते है। गाँवों के आदिवासी महाशिवरात्रि पर इस शिवलिंगमकी पूजा करते हैं।

कांगेर घाटी राष्ट्रीयउद्यान का नामकरण कांगेर नदी से ही हुआ है, जो इस राष्ट्रीय उद्यान के में ही बहती हुई आगे बढ़ती है। कांगेर घाटी उद्यान करीब 200 वर्ग km. में फैला हुआ है। कांगेर घाटी को सन 1982 में एक राष्ट्रीय उद्यान की उपाधि प्राप्त हुई। ऊँचे पहाड़ ,विशाल पेड़ पौधे, गहरी घाटियाँ एवं मौसमी जंगली फूलों तथा वन्यजीवन की विभिन्न प्रजातियों के लिए यह क्षेत्र सच में अनुकूल जगह है । यह राष्ट्रीय उद्यान एक मिश्रित नम पर्णपाती प्रकार के वनों का एक विशिष्ट एवं अद्भुत मिश्रण है, जिसमे बांस, साल , सागौन एवं टीक के पेड़ बहुतायत में है। यहाँ की सबसे लोकप्रिय प्रजाति जो की अपनी मानव की तरह की आवाज के साथ ही सभी को मंत्रमुग्ध करती हैं, वह बस्तरी मैना है। राज्य के प्रमुख पक्षी बस्तर मैना एक प्रकार की हिल माइन अर्थात ग्रुकुला धर्मियोसा है, जो की मानव की तरह आवाज का अनुकरण करने में भी सक्षम है। यहां की जंगल में दोनों प्रकार के प्रवासी एवं निवासी पक्षियों का घर है। वन्यजीवन एवं पौधों के अलावा यह उद्यान तीन असाधारण गुफाओं का भी घर अर्थात् केंद्र बिंदू है- कैलाश, कुटुम्बसर एवं दंडक स्टेलेग्माइट्स तथा स्टैलेक्टसाइट्स के आश्चर्यजनक भूगर्भीय संरचनाओं हेतु काफ़ी प्रसिद्ध है।

 

 

भैंसा दरहा : दरहा का तात्पर्य नदी द्वारा निर्मित जल के ताल अर्थात् तालाब से है। जगदलपुर से लगभग 65 km. की दूरी पर स्थित भैंसा दरहा भी कुछ ऐसा ही एक जल कुंड है। यहाँ पर प्राकृतिक रूप से मगरमच्छ पायें जाते हैं। जहां आप पिकनिक अथवा सैर का कार्यक्रम भी मना सकते है। चारों तरफ की हरी भरी हरियाली दिल को सुकून एवं मन को शांति प्रदान करती है। भैंसा दरहा खास कर बरसात के मौसम में बंद हो जाता है। अतः यहां आने का सबसे अच्छा एवं सही समय सर्दियों का ही है।

 

कांगेर धारा जलप्रपात : जगदलपुर से लगभग 35 km. दूर कांगेर घाटी उद्यान में कांगेर धारा जलप्रपात जो पिकनिक मनाने लायक सबसे अच्छा स्थल है। जहां आकर आप यहां की खूबसूरत झरने से गिरते पानी से स्नान कर आनंद उठा सकते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
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