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श्रीगोंचा-बाहुड़ा गोंचा रथयात्रा पूजा विधान में तुपकी चलाने की अनूठी परंपरा

Date : 13-Jun-2023

 बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में शताब्दियों से मनाये जा रहे रियासतकालीन बस्तर गोंचा पर्व में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व माता सुभद्रा श्रीमंदिर से विश्व भ्रमण के लिए रथारूढ़ होकर निकलने पर उनके सम्मान में तुपकी की सलामी देने की परंपरा का निर्वहन किया जाता है। भगवान जगन्नाथ के रथारूढ़ होने पर तुपकी चलाने की एक अनूठी परंपरा दृष्टिगोचर होती है, जो कि बस्तर गोंचा पर्व का मुख्य आकर्षण है।



तुपकी चलाने की परंपरा बस्तर को छोड़कर पूरे विश्व में अन्यत्र कहीं भी नहीं होती। दीवाली के पटाखे की तरह तुपकी की गोलियों से सारा शहर गूंज उठता है। यह बंदूक रूपी तुपकी पोले बांस की नली से बनायी जाती है, जिसे बस्तर के ग्रामीण तैयार करते हैं। इस तुपकी को तैयार करने के लिए, ग्रामीण गोंचा पर्व के पहले ही जुट जाते हैं तथा तरह-तरह की तुपकियों का निर्माण अपनी कल्पना शक्ति के आधार पर करते हैं।



360 घर आरण्यक ब्राहम्ण समाज के पूर्व अध्यक्ष दिनेश पानीग्राही ने बताया कि इस वर्ष श्रीगोंचा रथयात्रा पूजा विधान 20 जून को एवं बाहुड़ा गोंचा रथयात्रा पूजा विधान 28 जून 2023 को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व माता सुभद्रा को तुपकी की सलामी देने की शताब्दियों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि बस्तर के ग्रामीणों द्वारा बनाई जाने वाली इन तुपकियों में आधुनिकता भी समाहित होती है, ताड़ के पत्तों, बांस की खपच्ची, छिन्द अर्थात् देशी खजूर के पत्ते, कागज, रंग-बिरंगी पन्नियों के साथ तुपकियों में लकड़ी का इस्तेमाल करते हुए उसे बन्दूक का रूप देते हैं। ग्रामीण अपने साथ लायी तुपकियों में से एक अपने लिए रखकर शेष लोगों को बेच देते हैं, इससे उन्हें कुछ आर्थिक लाभ भी हो जाता है। गोंचा पर्व के दौरान कागज और सनपना की पन्नियों से सजाई गई रंग-बिरंगी विभिन्न आकार-प्रकार की तुपकियां लुभावनी लगती हैं। सम्पूर्ण भारत में बस्तर के अलावे तुपकी चलाने की अनूठी परंपरा और कहीं नहीं है।



गौरतलब है कि बस्तर में बन्दूक को तुपक कहा जाता है, तुपक शब्द से ही तुपकी शब्द बना है। यहां रथयात्रा गोंचा पर्व के दौरान बच्चे, युवक-युवतियां, रंग-बिरंगी तुपकियां लेकर नगर में हजारों की संख्या में अंचल के श्रद्धालु जुटते हैं, जिससे नगर में मेले का माहौल बना रहता है। ग्रामीण महिलाएं तुपकी के लिए पेंग के गुच्छे बेचती नजर आती हैं। वस्तुत: यह मालकांगिनी नामक लता का फल है, जो अंगूर के गुच्छों की तरह उगता है। यह फल औषधीय गुणधारक है, इसका तेल जोड़ों में होने वाले गठिया के दर्द निवारण के लिए रामबाण है।

 
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