मंदिर श्रृंखला:- सौभाग्य और सुख-समृद्धि की देवी मंगला गौरी | The Voice TV

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मंदिर श्रृंखला:- सौभाग्य और सुख-समृद्धि की देवी मंगला गौरी

Date : 05-Aug-2024

श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित होता है, और इस पूरे माह में शिव की आराधना की जाती है। इसी प्रकार, श्रावण माह के प्रत्येक मंगलवार को महिलाओं द्वारा मंगला गौरी व्रत का पूजन किया जाता है। इन दोनों व्रतों और उपवासों का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि उनका मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य और पारिवारिक समरसता को बढ़ावा देना है। शिव आराधना जहां दिव्य शक्ति और तात्त्विक शांति की प्राप्ति के लिए होती है, वहीं मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से परिवार की खुशहाली और स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाता है।देवी मंगला गौरी, माता पार्वती के एक रूप में पूजी जाती हैं और इन्हें सौभाग्य, समृद्धि, और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है।

बिहार के गया जिला में शक्ति पीठम में मंगला गौरी मंदिर (हिंदी: मां मंगलागौरी मंदिर) का उल्लेख पद्म पुराण , वायु पुराण और अग्नि पुराण और देवी भागवत पुराण और मार्कंडेय पुराण अन्य शास्त्रों और तांत्रिक कार्यों में किया गया है। यह मंदिर अठारह महा शक्तिपीठों में से एक है | 15वीं सदी में बना मंगला गौरी मंदिर मुख्य रूप से वैष्णव तीर्थस्थल, देवी सती को समर्पित और 52 महाशक्तिपीठों में गिना जाता है |जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे। पहाड़ी पे विराजमान माता को परोपकार की देवी माना जाता है। वर्षा-ऋतु में हर मंगलवार को यहां एक विशेष पूजा आयोजित की जाती है। इस दिन स्त्रियां व्रत रखती हैं ताकि उनके परिवार समृद्ध हों और उनके पति को सफलता व प्रसिद्धि प्राप्त हो। इस पूजा में देवी मंगला गौरी को 16 प्रकार की चूड़ियां, सात किस्म के फल और पांच तरह की मिठाई समर्पित की जाती है और यह रिवाज शुरू से चली आ रही है।

मंगला गौरी मंदिर में भगवान शिव, दुर्गा, देवी दक्षिण-काली, महिषासुर मर्दिनी और देवी सती के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन किए जा सकते हैं। इस मंदिर परिसर में मां काली, गणपति, भगवान शिव और हनुमान के मंदिर भी हैं। मंगला गौरी मंदिर में श्रावण मास व नवरात्र के महीने में लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने हेतु आते है जो यहाँ के दृश्य को मनोरम बनाती है। 

 

 
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