चाणक्य नीति:- पुरुष की परख गुणों से होती है
Date : 23-Oct-2024
यथा चतुर्भि: कनकं परीक्ष्यते
निर्घषणच्छेदन तापताडनै: |
तथा चतुर्भि: पुरुष : परीक्ष्यते
त्यागने शीलेन गुणेन कर्मणा ||
आचार्य चाणक्य यहां गुण कर्मों से पुरुष की परीक्षा की चर्चा करते हुए कहते हैं कि घिसने, काटने, तपाने और पीटने, इन चार प्रकारों से जैसे सोने का परीक्षण होता है, इसी प्रकार त्याग, शील, गुण एवं कर्मों से पुरुष की परीक्षा होती है |
अर्थात् सोना खरा है या खोटा, यह जानने के लिए पहले उसे कसौटी पर घिसा जाता है, फिर काटा जाता है, फिर आग में गलाया जाता है तथा अंत में उसे पीटा जाता है | इसी प्रकार कुलीन व्यक्ति की परीक्षा भी उसके त्याग से, स्वभाव से, गुणों से तथा कार्यों से ली जाती है | कुलीन व्यक्ति त्याग करनेवाला सुशील, विद्या आदि गुणोंवाले तथा सदा अच्छी कार्य करने वाला होता है |