8 दिसम्बर 1894 : निर्भीक चिंतक और इतिहासकार वैद्य गुरुदत्त का जन्म
Date : 08-Dec-2024
स्वत्व जागरण और राष्ट्रसेवा में जीवन समर्पित
उनका रचना संसार असीम है । उपन्यास, संस्मरण, जीवनचरित, इतिहास, धर्म, संस्कृति, विज्ञान, राजनीति और समाजिक ऐसा कोई विषय नहीं जिसपर उनका लेखन न किया हो । उनका लेखन असाधारण है । एक प्रकार की शोध रचनाएँ हैं। ‘धर्म, संस्कृति और ‘वेदमंत्रों के देवता’ लिखकर उन्होंने भारतीय संस्कृति की विशेषता का सरल भाषा में विवेचन किया। उन्होंने भगवद्गीता, उपनिषदों और दर्शन-ग्रंथों पर भी भाष्य लिखा। ‘भारतवर्ष का संक्षिप्त इतिहास’ और ‘इतिहास में भारतीय परम्पराएं’ नामक पुस्तकों में उनकी प्रखर प्रतिभा स्पष्ट है । वैद्य गुरुदत्त उन विरले साहित्य शोध कर्ताओं में हैं जिन्होंने कतिपय इतिहासकारों द्वारा भारतीय इतिहास लेखन की विसंगतियों पर तीखे प्रहार किये । "देश की हत्या" एवं "विश्वासघात" जैसी पुस्तकों में गाँधी जी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के राजनैतिक निर्णयों पर तीखी आलोचना की । ‘विज्ञान और विज्ञान’ तथा ‘सृष्टि-रचना’-जैसी पुस्तकों में भारतीय दर्शन का वैज्ञानिक दृष्टिकोण स्पष्ट किया । ‘धर्म तथा समाजवाद’ पुस्तक में सामाज जीवन के सामाजिक पक्ष का आदर्श स्पष्ट विवेचन किया । तो "मैं हिन्दू हूँ" और ‘स्व अस्तित्व की रक्षा’, पुस्तकों में मानव के प्राकृतिक स्वरूप को स्पष्ट करते हुये "कम्यूनिज्म" को एक प्रकार से अप्राकृतिक प्रमाणित किया। ‘धर्मवीर हकीकत राय’, ‘विक्रमादित्य साहसांक’, ‘लुढ़कते पत्थर’, ‘पत्रलता’, ‘पुष्यमित्र’, आदि ऐतिहासिक उपन्यास, ‘वर्तमान दुर्व्यवस्था का समाधान हिन्दू राष्ट्र’, ‘डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अन्तिम यात्रा’, ‘हिन्दुत्व की यात्रा’, ‘भारत में राष्ट्र’, ‘बुद्धि बनाम बहुमत’ जैसी अनेक वैचारिक यथार्थ की कृतियाँ हैं । ये रचनाएँ अनेक प्रकार के भ्रमों को तोड़कर पाठक को झकझौर देतीं हैं ।