सफला एकादशी व्रत : सफलता और पुण्य प्राप्ति का मार्ग Date : 26-Dec-2024 सफला एकादशी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाली एकादशी है। यह पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। वर्ष 2024 में सफला एकादशी 26 दिसंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु का पूजा-अर्चना करके व्रत करने का विधान है। सफला एकादशी का नाम "सफला" इसीलिए रखा गया है क्योंकि इस एकादशी के उपवास से जीवन में अद्भुत सफलता मिलती है। यह व्यक्ति के जीवन में सफलता लाने में सहायक मानी जाती है। इस व्रत को करने से जीवन में सफलता के साथ शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन संध्याकाल के समय माता तुलसी , पवित्र नदी के तट पर ,पीपल के वृक्ष के नीचे शुद्ध घी का दीपक अवश्य जलाएँ। एकादशी को भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय माना गया है। तुलसी माता के समीप दीपदान करने से विष्णु भगवान प्रसन्न होते हैं और साधक को पुण्य की प्राप्ति होती है। घर का वातावरण पवित्र , शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। दीपदान के प्रभाव से मन और आत्मा शुद्ध होती है। तुलसी माता और भगवान विष्णु की कृपा से दीपदान करने वाले भक्त को सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।जीवन में किए गए पापों का नाश होता है और मनुष्य को मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता हैं। एकादशी का दिन अत्यंत शुभ होता है । नदी के तट पर दीपदान से पवित्रता और पुण्य का संयोग होता है। पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है । पितृ (पितर ) दोष का निवारण होता है। नदी के प्रवाहित जल से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह आत्मा को शुद्ध करने और ध्यान केंद्रित करने का माध्यम भी है। व्यक्ति के पापों का शमन होने से मोक्ष की प्राप्ति में सहायता मिलती है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है और पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है।भगवद्गीता में स्वयं प्रभु श्रीकृष्ण ने कहा है, "अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां" (पीपल वृक्षों में मैं हूँ) इसलिए इस वृक्ष के नीचे दीपदान भगवान श्रीकृष्ण के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का प्रतीक है। पीपल के समीप दीप जलाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। यह कर्म व्यक्ति के पापों का नाश करने और सुख-शांति लाने वाला माना जाता है। पीपल का वृक्ष अपने चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है,जिससे उपासक को मानसिक शांति प्राप्त होती है। पीपल को पितरों का निवास स्थान भी माना गया है। एकादशी पर दीपदान करने से पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है, उनका भी आशीष प्राप्त होता है। इस प्रकार सफला एकादशी व्रत करने से राजसू यज्ञ अर्थात् सौ यज्ञों के बराबर पुण्य फल मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, चंपावती नगर के राजा महिष्मत का बड़ा पुत्र लुंभक अधर्मी और दुराचारी था। उसे राज्य से निष्कासित कर दिया गया। एक बार उसने सफला एकादशी का व्रत अनजाने में किया, जिससे उसके पाप नष्ट हो गए और उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हुई। सफला एकादशी करने से सफलता मिलती है जिससे धन, वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।मानसिक शांति और आत्मिक बल मिलता है।पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। एकादशी तिथि प्रारंभ: 25 दिसंबर 2024 को शाम 05:16 बजे एकादशी तिथि समाप्त: 26 दिसंबर 2024 को शाम 05:36 बजे, अतः उदया तिथि के अनुसार 26 दिसंबर गुरुवार को व्रत रखना श्रेष्ठ होगा। लेखक:- डॉ नुपूर निखिल देशकर