चाणक्य नीति:- प्रिय वस्तुएं ! Date : 22-Jan-2025 नास्ति मेघसमं तोयं नास्ति चात्मसमं बलम | नास्ति चक्षुसमं तेजो नास्ति चान्नसमं प्रियम || यहां आचार्य सबसे प्रिय वस्तु की चर्चा करते हुए कहते हैं कि बादल के समान कोई जल नहीं होता | अपने बल के समान कोई बल नहीं होता | आँखों के समान कोई ज्योति नहीं होती और अन्न के समान कोई प्रिय वस्तु नहीं होती | अर्थात् बादल का जल ही सबसे अधिक उपयोगी होता है | अपना बल ही सबसे बड़ा बल होता है, इसके बराबर अन्य किसी भी बल का भरोसा नहीं किया जा सकता | आँखों की रौशनी ही सबसे बड़ी रौशनी है तथा भोजन प्रत्येक प्राणी की सबसे अधिक प्रिय वस्तु है |