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शिक्षाप्रद कहानी :- सच्चा शिष्य

Date : 08-Feb-2025
दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संत स्वामी वादिराज जी के अनेक शिष्य थे, किन्तु स्वामी जी अपने अन्त्यज शिष्य कनकदास पर अधिक स्नेह रखते थे | उच्च वर्ण के शिष्यों को यह बात खटकती थी | शिष्यों के हृदय में यह बात बैठती नहीं थी कि कनकदास स्वामी जी का सच्चा भक्त है | स्वामी जी वादिराज ने एक दिन अपने सब शिष्यों को एक एक केला देकर कहा –“ आज एकादशी है | लोगों के सामने फल खाने से भी आदर्श के प्रति समाज में अश्रद्धा बढती है | इसलिए जहाँ कोई देखे , ऐसे स्थान पर जाकर इसे खा लो|”

      थोड़ी देर में सब शिष्य केले खाकर गुरूजी के समीप गये | केवल कनकदास के हाथ में केला ज्यों  का त्यों रखा था | गुरु जी ने पूछा –“ क्या कनकदास ! तुम्हे कहीं एकांत स्थान नही मिला|”

      कनकदास ने हाथ जोड़कर  उत्तर दिया –“ भगवन् ! प्रभू तो सर्व व्यापक है फिर एकांत कहीं कैसे मिलेगा ?” गुरुजी ने तिरछी नजर से अन्य शिष्यों को देखा , वे लज्जित अनुभव कर रहे थे | इसके बाद शिष्यों ने उससे ईर्ष्या करना छोड़ दिया |

 

 

 
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