छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित जतमई घटारानी मंदिर प्राकृतिक और धार्मिक स्थल का खूबसूरत संगम है। जतमई माता मंदिर, जिसे श्री जतमयी घटारानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित है। जिला राजधानी रायपुर से लगभग 80 किमी दूर है। मंदिर पूरी तरह से देवी दुर्गा को समर्पित है। मंदिर एक उत्तम स्थान पर स्थित है। मंदिर से सटे कुछ जल धाराएँ हैं। चट्टानों से नीचे बहते हुए पानी देवता के चरणों को छूता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि धाराएँ देवता की सेविकायें हैं। मंदिर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। घटारानी मंदिर, जतमई माता मंदिर से 25 किमी की दूरी पर स्थित है। दोनों मंदिरों में जलधाराओं के कारण दृश्य सुन्दर लगता है। मंदिर में प्रवेश करने से पहले लोग जलधारा में डुबकी लगाते हैं।
जतमई माता मंदिर
यह मंदिर माता जतमई को समर्पित हैं जिन्हें वनदेवी के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर को सोलहवीं शताब्दी में कमार जनजाति द्वारा बनवाया गया था। जतमई देवी के अलावा यहाँ माँ दुर्गा, भगवान राम और नरसिंह भगवान की मूर्ति स्थापित की गई है। मुख्य मंदिर में माता जतमई विराजमान है। पानी की धारा माता के चरणों को स्पर्श करते हुए बहती है। ऐसा कहा जाता है की यह जलधाराएँ माता जी की सेविका है। यहाँ किसी भी मौसम में पानी कम नही होता है।
यह मंदिर प्रकृति के गोद में बसा है मंदिर के समीप ही बहता झरना और आसपास की हरियाली मनोरम दृश्य का निर्माण करते हैं। यह प्राकृतिक स्थल और धार्मिक स्थल का खूबसूरत संगम है। नवरात्री में दूर दूर से भारी संख्या में भक्त आते हैं और माता के दर्शन करते हैं।
मंदिर के पास में ही भगवान राम और लक्ष्मण को अपने कंधे पर बैठाये हुए विशाल हनुमान जी की प्रतिमा है। इस मूर्ति की ऊँचाई लगभग 150 है। मूर्ति के नीचे से बहता पानी और आसपास की हरियाली बेहद ही सुन्दर दिखाई देता है।
इन सभी के अलावा यहाँ मुख्यतः दो गुफाएं है जिनमें देवी देवताओं की मूर्ति को स्थापित किया गया है। काली देवी गुफा में माता काली विराजमान है और शेर गुफा में भी माता के फोटो वगैरह को रख दिया गया है और पूजा अर्चना करते हैं लेकिन भक्तों के अनुसार यहाँ पहले जंगल के शेर निवास करते थे इसलिए इस गुफा का नाम शेर गुफा रखा गया है।
घटारानी मंदिर
घटारानी मंदिर आदिकाल से ही घने जंगलों में एक पहाड़ी की खोह में विराजमान है जिसे समय के साथ खोह के उपर मंदिर का निर्माण कर दिया गया है जिसकी ख़ूबसूरती देखते ही बनती है। ऐसा माना जाता है की पहले जो भी जंगलो में भटक जाते थे उनके द्वारा फल फूल चढाने पर वो अपने मंजिल तक पहुंच जाते थे। देवी घटारानी भटके हुए लोगों को उनके मंजिल तक पहुंचा देती थी। इसके अलावा यहाँ शिवलिंग भी है जिसे घटेश्वरनाथ के नाम से जानते हैं| मंदिर के पास ही घटारानी जलप्रपात हैं जो पर्यटकों और पिकनिक मनाने आने वाले लोगों को काफी ज्यादा आकर्षित करता है। ऊँचाई से चट्टानों के उपर होते हुए गिरता पानी बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता हैं|