शिवपुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग का है विशेष महत्व | The Voice TV

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शिवपुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग का है विशेष महत्व

Date : 03-Jul-2023

 

 

 मिट्टी के शिवलिंग को कहा जाता मिट्टी के शिवलिंग को कहा जाता है पार्थिव शिवलिंग। कलयुग में मिट्टी के शिवलिंग के पूजन का विशेष महत्व है शिवलिंग की ऊंचाई 12 अंगुल से अधिक नहीं होनी चाहिए। भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा साकार और निराकार दोनों रूप में होती है। साकार रूप में भगवान शिव मनुष्य रूप में हांथ में त्रिशूल और डमरू लिए बाघ की छाल पहनें नंदी की सवारी करते हुए नजर आते हैं। शिवपुराण के अनुसार साकार औऱ निराकार दोनों रूपों में महादेव की पूजा फलदायी होती है।

वहीं शिवलिंग की पूजा करना अधिक उत्तम माना गया है। शिव पुराण में भगवान शिव की आराधना के लिए शिवलिंग का विशेष महत्व बताया गया है। शिवलिंग की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और दुखों का निवारण होता है। देवलिंगअसुरलिंगअर्शलिंगपुराण लिंगमनुष्य लिंगस्वयंभू लिंग कई प्रकार के शिवलिंग होते हैं तथा इनका अलग महत्व और प्रभाव होता है। लेकिन शिवपुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग का विशेष महत्व है। ऐसे में आइए जानते हैं मिट्टी का शिवलिंग कैसे बनाएं और शिवपुराण में इसका क्या महत्व है

पार्थिव पूजन से जुड़ी पौराणिक कथा

मान्यता है कि भगवान शिव का पार्थिव पूजन सबसे पहले भगवान राम ने किया थाभगवान श्री राम ने लंका पर कूच करने से पहले भगवान शिव की पार्थिव पूजा की थीमान्यता है कि कलयुग में भगवान शिव का पार्थिव पूजन कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने किया थाजिसके बाद से अभी तक शिव कृपा बरसाने वाली पार्थिव पूजन की परंपरा चली आ रही हैमान्यता यह भी है कि शनिदेव ने अपने पिता सूर्यदेव से ज्यादा शक्ति पाने के लिए काशी में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा की थी.

शिवलिंग बनाने की विधि

मिट्टी के शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता है। मिट्टी का शिवलिंग गाय के गोबरगुड़मक्खनभस्ममिट्टी और गंगा जल मिलाकर बनाया जाता है। पार्थिव शिवलिंग बनाते समय इन सभी चीजों को एक में मिला दें और फिर गंगाजल मिलाकर बनाएं। ध्यान रहे मिट्टी का शिवलिंग बनाते समय पवित्र मिट्टी का इस्तेमाल करें। कोशिश करें की बेल के पेड़ की मिट्टी या फिर चिकनी मिट्टी का उपयोग करें। फिर थाली में एक बेल पत्र रख कर उसके ऊपर मिट्टी रखते हुए शिवलिंग का निर्माण करना चाहिए

पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व

 

शिव महा पुराण में 'विद्येश्वरसंहिताके 16वे अध्याय में दिए गए श्लोक "अप मृत्युहरं कालमृत्योश्चापि विनाशनम। सध:कलत्र-पुत्रादि-धन-धान्य प्रदं द्विजा:के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा से तत्क्षण (तुरंत हीजो पुत्रादि यानी कि घर की बहुपुत्र वधु जो होती है वो शिव शंभू की कृपा से घर में धन धान्य लेकर आती है और इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती हैगृह लक्ष्मी द्वारा की गई पार्थिव शिवलिंग की पूजा अकाल मृत्यु को भी टालती हैइस पूजा को स्त्री पुरुष सभी कर सकते हैंशिवपुराण के अनुसारपार्थिव पूजन से धन-धान्यआरोग्य के साथ ही पुत्र की प्राप्ति होती हैपार्थिव लिंग के पूजन से अकाल मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता हैशिवजी की आराधना के लिए पार्थिव पूजन सभी लोग कर सकते हैं. 

 

 

 पार्थिव शिवलिंग। कलयुग में मिट्टी के शिवलिंग के पूजन का विशेष महत्व है शिवलिंग की ऊंचाई 12 अंगुल से अधिक नहीं होनी चाहिए। भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा साकार और निराकार दोनों रूप में होती है। साकार रूप में भगवान शिव मनुष्य रूप में हांथ में त्रिशूल और डमरू लिए बाघ की छाल पहनें नंदी की सवारी करते हुए नजर आते हैं। शिवपुराण के अनुसार साकार औऱ निराकार दोनों रूपों में महादेव की पूजा फलदायी होती है।

वहीं शिवलिंग की पूजा करना अधिक उत्तम माना गया है। शिव पुराण में भगवान शिव की आराधना के लिए शिवलिंग का विशेष महत्व बताया गया है। शिवलिंग की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और दुखों का निवारण होता है। देवलिंगअसुरलिंगअर्शलिंगपुराण लिंगमनुष्य लिंगस्वयंभू लिंग कई प्रकार के शिवलिंग होते हैं तथा इनका अलग महत्व और प्रभाव होता है। लेकिन शिवपुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग का विशेष महत्व है। ऐसे में आइए जानते हैं मिट्टी का शिवलिंग कैसे बनाएं और शिवपुराण में इसका क्या महत्व है

पार्थिव पूजन से जुड़ी पौराणिक कथा

मान्यता है कि भगवान शिव का पार्थिव पूजन सबसे पहले भगवान राम ने किया थाभगवान श्री राम ने लंका पर कूच करने से पहले भगवान शिव की पार्थिव पूजा की थीमान्यता है कि कलयुग में भगवान शिव का पार्थिव पूजन कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने किया थाजिसके बाद से अभी तक शिव कृपा बरसाने वाली पार्थिव पूजन की परंपरा चली आ रही हैमान्यता यह भी है कि शनिदेव ने अपने पिता सूर्यदेव से ज्यादा शक्ति पाने के लिए काशी में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा की थी.

शिवलिंग बनाने की विधि

मिट्टी के शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता है। मिट्टी का शिवलिंग गाय के गोबरगुड़मक्खनभस्ममिट्टी और गंगा जल मिलाकर बनाया जाता है। पार्थिव शिवलिंग बनाते समय इन सभी चीजों को एक में मिला दें और फिर गंगाजल मिलाकर बनाएं। ध्यान रहे मिट्टी का शिवलिंग बनाते समय पवित्र मिट्टी का इस्तेमाल करें। कोशिश करें की बेल के पेड़ की मिट्टी या फिर चिकनी मिट्टी का उपयोग करें। फिर थाली में एक बेल पत्र रख कर उसके ऊपर मिट्टी रखते हुए शिवलिंग का निर्माण करना चाहिए

पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व

 

शिव महा पुराण में 'विद्येश्वरसंहिताके 16वे अध्याय में दिए गए श्लोक "अप मृत्युहरं कालमृत्योश्चापि विनाशनम। सध:कलत्र-पुत्रादि-धन-धान्य प्रदं द्विजा:के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा से तत्क्षण (तुरंत हीजो पुत्रादि यानी कि घर की बहुपुत्र वधु जो होती है वो शिव शंभू की कृपा से घर में धन धान्य लेकर आती है और इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती हैगृह लक्ष्मी द्वारा की गई पार्थिव शिवलिंग की पूजा अकाल मृत्यु को भी टालती हैइस पूजा को स्त्री पुरुष सभी कर सकते हैंशिवपुराण के अनुसारपार्थिव पूजन से धन-धान्यआरोग्य के साथ ही पुत्र की प्राप्ति होती हैपार्थिव लिंग के पूजन से अकाल मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता हैशिवजी की आराधना के लिए पार्थिव पूजन सभी लोग कर सकते हैं. 


 

 
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