हरियाली अमावस्या श्रावण में पड़ने वाला त्यौहार है अन्य अमावस्या की तरह, यह लोगों के लिए मजबूत धार्मिक मूल्य रखता है। हरियाली अमावस्या को बारिश के मौसम के त्योहार के रूप में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस दिन भगवान शिव की पूरी भक्ति के साथ पूजा की जाती है। हरियाली अमावस्या का उत्सव भारत के उत्तरी राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में बहुत प्रसिद्ध है। यह अन्य क्षेत्रों में भी प्रसिद्ध है लेकिन अलग – अलग नामों से। महाराष्ट्र में इसे गतारी अमावस्या कहा जाता है, आंध्र प्रदेश में इसे चुक्कल अमावस्या और उड़ीसा में इसे चितलगी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। जैसा कि नाम के साथ होता है, देश के विभिन्न हिस्सों में रीति – रिवाज और परंपराएं अलग – अलग होती हैं, लेकिन उत्सव की भावना समान रहती है।
हरियाली तीज कहां कैसे मनाई जाती है
छत्तीसगढ़ में हरियाली त्यौहार
हरेली त्यौहार छत्तीसगढ़ का प्रथम त्यौहार माना जाता है, जिसे प्रतिवर्ष सावन माह में हरेली अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार छत्तीसगढ़ के किसानों के लिये विशेष महत्त्व रखता है। धान की बुआई के बाद किसानों द्वारा हरेली के दिन सभी कृषि एवं लौह औज़ारों की पूजा की जाती है।
हरेली पर्व में किसान बैलों और हल सहित विभिन्न औज़ारों की विशेष पूजा करने के बाद खेती-किसानी का काम शुरु करते हैं। हरेली त्यौहार के दिन घरों में इस त्यौहार का विशेष व्यंजन ‘चीला’ बनाया जाता है। इसे औज़ारों में चढ़ाकर इसकी पूजा की है, तत्पश्चात् इसे घर के सदस्यों को प्रसादस्वरूप दिया जाता है।
हरेली के दिन पुरुषों के द्वारा गेड़ी (बाँस से निर्मित) बनाकर उस पर चढ़ा जाता है। कहीं-कहीं गेड़ी दौड़ का आयोजन भी किया जाता है।
महाराष्ट्र में हरियाली तीज
इसी तरह महाराष्ट्र में औरतें हरे कपड़े, हरी चूड़ी, गोल्डन बिंदी और काजल लगाती है. वे नारियल को सजा कर अपनी पहचान वालों में धन्यवाद करने के लिए एक दुसरे को देती है.
वृन्दावन में हरियाली तीज का महत्व
वृन्दावन में हरियाली तीज बड़े धूमधाम से मनाते है. इस दिन से जो त्यौहार शुरू होते है, कृष्ण जन्माष्टमी तक चलते है. कृष्ण जन्माष्टमी का महत्त्व व पूजा विधि जानने के लिए पढ़े. कहते है कृष्ण जी वृन्दावन में अपनी राधा और गोपियों के साथ हरियाली तीज बड़ी धूम से मनाया करते थे. वृन्दावन में आज भी इस परंपरा को कायम रखा गया है और जगह जगह झूले डाले जाते है जहाँ औरतें झूला झूलती है और सावन गीत गाती है. इसे वहां झुल्लन लीला कहा जाता है. बांके बिहारी मंदिर में कृष्ण के गानों से वातावरण मनमोहक हो जाता है. मंदिर में कृष्ण और राधा की लीला के बारे में भी बताया जाता है. कहते है इस दिन कृष्ण और राधा इस मंदिर में अपने स्थान में आते है और कृष्ण राधा को झूला झुलाते है. वृन्दावन में हरियाली तीज के दिन सोने का झूला बनाया जाता है. यह साल में एक बार बनता है, जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है और भक्तों के सैलाब से वृंदावन झूम उठता है.
भगवान् कृष्ण की पूजा आराधना के बाद यहाँ सब पर पवित्र जल छिड़का जाता है, जिससे सबको बहुत अच्छी अनुभूति होती है. वृंदावन में हरियाली तीज के लिए विशेष इंतजाम होते है, विदेशी तो इसे देखने के लिए विशेष रूप से भारत आते है.
हरियाली तीज पूजा विधि
हरियाली तीज के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद नए वस्त्र पहनें और सोलह श्रृंगार करें। इस दिन उपवास रहे। हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ ही भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है। पूजा के लिए एक चौकी तैयार करें और उसपर पीले रंग का कपड़ा बिछा दे। फिर इस चौकी में भगवान की मूर्तियां स्थापित करें और भगवान को नए वस्त्र पहनाएं। पूजा सामग्री को भगवान की मूर्तियों में अर्पित करें। इसके बाद माता पार्वती को सोलह श्रृंगार से जुड़े सभी सामान, साड़ी और चुनरी अर्पित करें। पूजा में हरियाली तीज की व्रत कथा जरूर सुनें या पढ़ें। इसके बाद आरती करें।